Monday, April 6, 2009

प्रायोजित प्रेम

प्रायोजित प्रेम
वैलेंटाइन डे के लगभग दो माह बीत जाने के बाद प्रेम की पाठशाला में जब सहीराम पहुंचे तो उन्हे कुछ नए तरह के प्रवचन सुनने को मिले। प्रस्तुत हैं उसके कुछ अंश-
‘प्रेमज् अर्थात अकथनीय, अवर्चनीय और कभी-कभी अदर्शनीय है। लेकिन इधर प्रेम में रिफार्म आया है और वह नए फार्म में दिखाई दे रहा है। जसे ‘प्रायोजित प्रेमज्, गैर चुनावी समय से लेकर चुनावी महापर्व या और भी महत्वपूर्ण मौकों पर प्रेम प्रायोजित टाइप दिखने लगता है।
अब देखिए चुनाव से पूर्व प्रेम के गीत गाने वाले नेता को भगवाधारियों ने ऐसे धार्मिक सन्निपात का इंजेक्शन लगाया कि भाजपा के राम के प्रति उसका प्रायोजित प्रेम उमड़ पड़ा। इसी तरह तथाकथित हिन्दू हृदय सम्राट योगी आदित्यनाथ का हिन्दूओं के प्रति प्रेम भी इसी श्रेणी का है। इसी तरह का प्रेम बहुजन से सर्वजन में तब्दील मायावती का ब्राह्मणों के प्रति भी है। कांग्रेस का मुस्लिमों के प्रति प्रेम भी कुछ इसी टाइप है। कुछ घोषित कम्युनिस्टों का मार्क्स के प्रति प्रेम को भी हम ऐसा ही कह सकते हैं। चुनाव आते ही नेता जी लोगों का जनता के प्रति अथाह प्रेम भी प्रायोजित ही है।
कहने का तात्पर्य यह है कि प्रायोजित प्रेम करने वालों की एक लम्बी श्रृंखला है। वर्तमान में वही सफल हो सकता है जो प्रायोजित प्रेम में महारथ हासिल रखता है। फटाफट क्रिकेट से लेकर आईपीएल तक में चीयर्स गर्ल्स के क्रिकेट प्रेम के बारे में आप क्या कहेगें, कोई उनसे नहीं पूछता कि आप लांग आन या कवर ड्राइव जसा कुछ जानती हैं या नहीं। पानी की टंकी पर चढ़ कर गौरांगवर्णी नायिका के प्रति नायक के प्रेम का इजहार, अक्सर गायन की प्रतियोगिता में रूठने मनाने में क्रिया से लबरेज प्रेम या रैंप पर आधे इंच से सवा इंच में मुस्कुराती गजगामिनी मॉडल का अपने अधोवस्त्र के प्रति प्रेम को भी हम इसी कैटेगरी में रख सकते हैं। पता नहीं कब प्रतियोगी लड़ बैठे और रैम्प की मॉडल का अधोवस्त्र खिसक जाए।
वर्तमान की आर्थिक मंदी ने भी प्रायोजित प्रेम को और भी हवा दी है। प्रायोजित प्रेम का उदाहरण चूल्हे से लेकर आफिस तक में देखा जा सकता है। डैनी बॉयल का भारतीय स्लमडॉगों के प्रति प्रायोजित प्रेम अथाह है। अक्सर अस्पतालों में डाक्टर और नर्स मरीजों से इसी प्रेम के अंतर्गत बंधे होते हैं।
भक्त जनों प्रायोजित प्रेम के अपने-अपने फायदे हैं वरुण गांधी उन्हीं की पार्टी के लोग ईष्र्या करते हैं कि, दंगा कराना और मस्जिद तुड़वाने जसे महान कार्य करने के बाद भी उन्हे वह सम्मान नहीं मिला जो प्रायोजित प्रेम के जरिए इस निर्वतमान कवि को मिल गया। जरुर प्रेम गीत रचने की कला इसमे काम आई होगी। अत: प्रेम शाश्वत है इसे प्रायोजित रुप में ले लाभ होगा। इति !
अभिनव उपाध्याय

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