
संस्थान के निम्न कर्मचारी पिछले कई महीने से वेतन न पाने के कारण कुम्हलाए थे। नाटेराम विद्रोही ने तन कर कहा साथियों अब काम बंद। बहुत हो गया गीता का प्रवचन अब महाभारत होगी। रोज रोज की प्रवचन से कान कुकुहाने लगा है। मालिक है कि मक्खीचूस, क्या दीवाली क्या होली क्या ईद क्या रमजान, स्वतंत्रता दिवस को सरकार भी छुट्टी देती है लेकिन ये तो आजादी के बाद भी गुलाम बनाकर रखा है। साथियों हम कब तक गुलाम बने रहेंगे। अब तो सांसद संसद में जूता चलाने गाली गलौज करने के बाद भी अपनी तनख्वाह बढाने के लिए अड़े हैं फिर हम तो दिन रात एक करके मालिक के लिए मर रहे हैं और यह मालिक का तोता हमारी तनख्वाह न बढाकर रोज प्रवचन सुना जाता है। साथियों अब बात से बात नहीं बनेगी हमें कुछ करना होगा। मालिक के मिट्ठू को कर्मचारियों की बात पता चली तो वह थोड़ी देर के लिए सकते में आ गया।

बात मालिक तक भी पहुंची। मालिक को मजदूरों का पैसा बढाने के नाम पर खुजली होती थी और हड़ताल जसा कुछ सुनकर खुजली बढ़ जाती थी। तोता तलब हुए, हालात का जायजा लिया गया। मालिक ने तोते को मिर्च बढ़ाई, अपना कान खुजलाया और जोर से बोला कोई हड़ताल नहीं होनी चाहिए। तोता आवाज सुनकर तुलतुलाया बोला, मालिक अब तो आप तनख्वाह भी देर से देने लगे हो कितनों की तो महीनों से बाकी है कुछ कृपा कर दीजिए साल भर से प्रवचन दे रहा हूं लेकिन नाटेराम ने विद्रोह कर दिया है। इसलिए मजदूर नाराज हैं। मालिक ने फिर कान खुजलाया बोला तुम्हारी तनख्वाह दुगनी कर देता हूं और नाटेराम की तीन गुनी। तोता अब स्पष्ट बोल रहा था। कहा, मालिक कैसी हड़ताल इस बार हिटलर की कथा सुनाऊंगा सब सही हो जाएगा।