Tuesday, August 17, 2010

खेल खेल में खेल..

दिन बदलते देर नहीं लगती, मेरी बात मानों एक दिन शेरा का भी दिन बदलेगा। लोग शेरा के पीछे पड़े हैं हम कहते हैं कि भइया दम हो तो आगे आओ। लेकिन वही है न कि पीठ पीछे जो मन में आए कह दो और सामने आने पर मुकर जाओ। चाय बेचने वाला पल्टू यह बात लोगों को समझा रहा था। वह कह रहा है कि लोग समझ नहीं रहे हैं कि शेरा जंगल का राजा है और देश के राजा टाइप लोग ही इस खेल के खेवनहार हैं। राष्ट्रमंडल खेल परियोजना में काम करने वाला मजदूर रफ्फू सुनते-सुनते बोल पड़ा, चाचा लोग शेरा के पीछे नहीं पड़े हैं ये राजा टाइप लोग जनता के पीछे पड़े हैं कि इनकी दाल रोटी इस मंहगाई में भी कैसे चल रही है? चाचा पल्टू, शेरा का दिन तो बदलेगा लेकिन हमारे दिन बिगाड़ कर। खेल-खेल में जाने कैसा खेल शुरू हो गया कि हमारे मुंह से रोटी और सिर से चोटी गायब हो गई। पल्टू ने रफ्फू को चौंक कर देखा, बोला रोटी का तो पता है लेकिन चोटी का नहीं। रफ्फू ने सिर सहलाते हुए कहा कि चाचा ईंट गारा ढोते-ढोते सिर पर एक बाल तक नहीं बचा तो चोटी कैसे रहेगी। सरकार अपनी नाक बचाने पर लगी है और कान से कुछ भी सुनने को तैयार है।

पल्टू-रफ्फू संवाद का लोगोंे ने जम कर आनंद लिया। लेकिन टीवी प्रेमी राष्ट्रमंडल खेलों की तैयारियों को लेकर टेलीविजन से चिपके हैं। गिल को भरोसा है कि गिली-गिली छू जसा कुछ होगा जिससे सब कुछ सही से हो जाएगा। मुख्यमंत्री भी मीडिया के सामने तैयारियों को लेकर हलकाते हुए बयान दे रही हैं। सुना है बिना फल-फू ल वाले पेड़ पौधे लगाए जा रहे हैं जो केवल सुंदर लगेंगे। लेकिन सावन के अंधे को उससे क्या फायदा। कायदा तो यह है कि इनसे कुछ मिले भी। तो जनाब अब तक दौड़ने से घोड़ी बिदकती थी लेकिन अब तो खबर सुनकर दौड़ने वाले खिलाड़ी भी बिदक रहे हैं। यही सब देखकर खेल मंत्री ने अपने संतरी को भेजा होगा कि जाओ स्टेडियम देखकर आओ और जब उसने हाल बताया होगा तो बस एक ही चिर परिचित बयान याद आया कि अब तो बारात दरवाजे पर आ गई है इसके स्वागत की तैयारी की जाए। लेकिन क्या करें जब भी स्वागत की तैयारी होती है मौसम नासाज हो जाता है और दिल्ली का हाल तो और बुरा है यहां जब बादल छाए होते हैं तभी से जाम लगना शुरू हो जाता है और बारिश के बाद तो पूछिए मत। अब जाम में काम कैसे होगा। मंत्री परेशान हैं बयान से, संसद के घमासान से, कंपनियों के काम से। एक नेता ने जोर से कहा हम बारातियों की तैयारी में लगे हैं और विपक्ष शेरा की पूंछ में आग लगाने पर तुला है।
कार्टून- मंसूर नकवी
अभिनव उपाध्याय

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...