Thursday, December 22, 2016

पूरी दुनिया में महिलाओं की स्थिति एक जैसी: नासिरा शर्मा



महिलाओं के सामाजिक,राजनीति व उनके जीवन के अन्य पहलुओं पर अपनी निगाह रखकर भौगोलिक सीमा से परे जाकर उनके मन की टोह लेने में माहिर और अपने साक्षात्कार, कहानी, उपन्यासों के लिए विख्यात लेखिका नासिरा शर्मा को इस वर्ष हिंदी के लिए उनकी रचना पारिजात के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। प्रस्तुत है वरिष्ठ लेखिका नासिरा शर्मा से अभिनव उपाध्याय की बातचीत-



प्रश्न- यह उपन्यास आपकी अन्य कृतियों से कैसे भिन्न है?

उत्तर- इसके बारे में मैं क्या कह सकती हूं।  मेरे हर उपन्यास का विषय अलग रहता है। इसमें मैंने लखनऊ और इलाहाबाद की पृष्ठभूमि को लिया है कि कैसे अवध की तहजीब बनी उसने लोगों को प्रभावित किया लेकिन अब वो चीज गायब हो गई है। इसमें मैं कर्बला, हुसैनी ब्राह्मण और आधुनिक जमाने की कोशिश को लेकर चली हूं।

प्रश्न-आपके और भी उपन्यास हैं लेकिन लेकिन पारिजात उपन्यास पर आपको साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला, आप क्या कहना चाहेंगी?

उत्तर- मुझे तो पता भी नहीं था कि इस पर पुरस्कार मिलेगा। मेरे लिए ये ताज्जुब की बात हुई लेकिन मुझे किसी भी उपन्यास पर मिलता तो ऐसा ही लगता।

प्रश्न-आपका लेखन महिलाओं की दशा दिशा को लेकर भी है चाहे वह खाडी देश की हों या भारत की। आप दोनों देशों की महिलाओं की स्थिति में कितनी समानता या विभिन्नता देखती हैं?

उत्तर- पूरी दुनिया में भावनात्मक रूप से देखें तो महिलाओं की स्थिति एक जैसी ही है। आप चाहे जितने बहादुर हो जाएं लेकिन आपकी भावनाएं तो बहादुर नहीं हो सकती। आप औरत बनके मर्द की तमन्ना करते हैं और मर्द बनके ही औरत की तमन्ना करते हैं। अगर इस्लाम के नजरिए से देखिए तो खाडी के देशों महिलाओं को सब कुछ मिला है लेकिन आजादी नहीं मिली है जिसे हम आजादी कहते हैं। लेकिन हम सारी आजादी पाने के बाद भी दुखी हैं देश में दुष्कर्म उसी रूप में हो रहा है,धर्म की खेती उसी अंदाज से होती है। लेकिन यह भी सच है कि 20 फीसद औरतों ने जो चाहा वो हासिल किया है। ज्यादातर औरतें परेशान हैं। कहीं समाज, राजनीति और अन्य बंदिशें महिलाओं के लिए है। उनकी तकलीफों को समझना मुश्किल है।

प्रश्न- आपने विभिन्न विधाओं में लिखा है, किस विधा में अपने को सहज पाती हैं?
उत्तर- इधर दस बारह सालों में मैंने एक या दो कहानियां लिखी हैं ज्यादातर मेरा समय उपन्यास लेखन में जा रहा है। अगर मैं ये कहूं कि कहानी लिखने में तत्काल आनंद मिलता है लेकिन उपन्यास में अपने आप को उसमें डालना पड़ता। उसके किरदारों के नाम याद रखता आदि काफी मुश्किल काम है।

प्रश्न- पूरे विश्व में आतंकवाद की चर्चा है, एक समूह इसे इस्लामिक आतंकवाद का नाम देता है इसमें महिलाओं की संलिप्तता भी सामने आई है? इसे किस तरह से देखती हैं?

उत्तर- महिलाएं तो खुद समझ रही हैं कि जहां पर अंकुश ज्यादा है वहां भी वह शामिल हैं। मामला सियासी हो या धार्मिक वह पीछे नहीं रह गई है। वह घर में भी भागीदार थी और बाहर भी लेकिन पुरुषों से दुगनी हालत में महिलाएं परेशान हैं। क्योंकि उसके साथ परिवार जुडा है समस्याएं जुडी हैं। यह समय दुख के गीत का समय है।

प्रश्न- यह दुख के गीत का समय है?किस संदर्भ में यह कह रही हैं?

उत्तर- यदि आपका नजरिया वहां जाता है जहां जंग ज्यादा है फसाद हो रहा है तो आपको लगेगा कि बाकी कुछ नहीं है केवल जंग है। मैं ज्यादातर उनके बीच उठती बैठती हूं जहां दुख के साए मंडराते हैं इसलिए मैं ऐसा कह रही हूं और वही मेरे लेखन भी आता है।

प्रश्न- आपने आजाद भारत को बढते हुए देखा लेकिन भूमंडलीकरण के बाद एक अलग तरह का भारत दिख रहा है? इसमें महिलाएं कहां है?

उत्तर- पहले सादगी थी,रिश्तों को लेकर पुरानी कैफियत ज्यादा लोगों में थी। लेकिन बाद में बाजार के पनपने का असर लोगों ने तेजी से लिया और इससे चीजें बहुत रंगीन और शोर शराबे वाली हो गई। धीरे धीरे जब सियासत रंग दिखा रही है तो वह आम आदमी के फायदे में नहीं जा रही है। आम आदमी भयभीत भी है, परेशान भी है और उसको इंसाफ नहीं मिल रहा है। अगर सफाई है तो कूडा आपके घर के सामने रख देते हैं, यदि सरकारी पानी आपके घर के ऊपर गिर रहा है तो एक बोरी सीमेंट की व्यवस्था नहीं हो पा रही है।
पुल,सिनेमाहाल, मॉल बनने से क्या होता है। दूसरा पक्ष भी ऐसे भी कैसे संतुलित हो यह भी देखा जाना जरूरी है। दो रोटी खाकर लोग सकून से जी तो सकें। यह सिलसिला किसी एक सरकार से जुडा नहीं है बल्कि यह हमारी संस्कृति का एक अजीब सा अंग बनता जा रहा है। सब सहो और चुप रहो। हमारे समाज का नैतिक पतन बहुत हुआ है। मानवता धीरे धीरे कम हो गई है।
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कौन हैं नासिरा शर्मा

नासिरा शर्मा का जन्म 1948 में इलाहाबाद में हुआ। उन्होंने फारसी भाषा और साहित्य से एमए किया। हिंदी, उर्दू,पश्तो एवं फारसी पर उनकी गहरी पकड है। वह ईरानी समाज और राजनीति के अतिरिक्त साहित्य, कला  व संस्कृति विषयों की विशेषज्ञ हैं। इराक, अफगानिस्तान, पाकिस्तान व भारत के राजनीतिज्ञों तथा प्रसिद्ध बुद्धिजीवियों के साथ उन्होंने साक्षात्कार किए जो बहुत चर्चित हुए। सर्जनात्मक लेखन में प्रतिष्ठा प्राप्त करने के साथ ही स्वतंत्र पत्रकारिता में भी उन्होंने उल्लेखनीय कार्य किया है।
2008 में अपने उपन्यास कुइयाँजान के लिए यूके कथा सम्मान से सम्मानित किया गया। अब तक दस कहानी संकलन, छह उपन्यास, तीन लेख-संकलन, सात पुस्तकों के फ़ारसी से अनुवाद हो चुका है।

नासिरा शर्मा को साहित्य अकादमी पुरस्कार


फरवरी में आयोजित समारोह में दिया जाएगा पुरस्कार
-भाषा सम्मान की घोषणा भी अकादमी ने की


 साहित्य अकादमी ने बुधवार को 24 भाषाओं में अपने वार्षिक साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा की। आठ कविता संग्रह, सात कहानी संग्रह,पांच उपन्यास, दो समालोचना, एक निबंध संग्रह और एक नाटक के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार घोषित किए गए। हिंदी भाषा में प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा को उनकी कृति पारिजात के लिए उन्हें पुरस्कार देने की घोषणा की गई। जेरी पिंटो को उनके उपन्यास एम एंउ द बिग हूम तथा उर्दू में निजाम सिद्दिकी को उनकी समालोचना माबाद ए जदिदिआत से नये अहेद की तखलिकियात तक के लिए दिया जाएगा।
नासिरा शर्मा ने इस पुरस्कार पर खुशी जताई और कहा कि यह मेरे लिए चौंकाने वाला समाचार है।
पुरस्कारों की अनुशंसा 24 भारतीय भाषाओं की निर्णायक समितियों द्वारा की गई तथा साहित्य अकादमी के अध्यक्ष विश्वनाथ प्रसाद तिवारी की अध्यक्षता में आयोजित अकादमी के कार्यकारी मंडल की बैठक में बुधवार को इन्हें अनुमोदित किया गया।
 पुरस्कार 1 जनवरी 2010 से 31 दिसम्बर 2014 के दौरान पहली बार प्रकाशित पुस्तकों पर दिया गया है।
साहित्य अकादमी पुरस्कार के रूप में एक उत्कीर्ण ताम्रफलक, शॉल और एक लाख रुपये की राशि प्रदान करेगी। घोषित पुरस्कार 22 फरवरी 2017 को राजधानी में आयोजित एक विशेष समारोह में दिया जाएगा।
इन पुस्कारों की घोषणा साहित्य अकादमी के सचिव डा.के श्रीनिवास राव ने की।
 कविता संग्रह के लिए पुरस्कृत 8 कवि हैं  ज्ञान पुजारी (असमिया), अंजु (अंजलि नार्जारी) (बोडो), कमल वोरा (गुजराती), प्रभा वर्मा (मलयालम), सीतानाथ आचार्य शास्त्री (संस्कृत), गोबिन्दचन्द्र माझी (संताली), नन्द जावेरी (सिन्धी) और पापिनेनि शिवशंकर (तेलुगु)
जबकि
अपने कहानी-संग्रहों के लिए पुरस्कृत सात कहानीकार हैं छत्रपाल (डोगरी), श्याम दरिहरे (मैथिली), मोइराङ्थेम राजेन (मणिपुरी), आसाराम लोमटे (मराठी), पारमिता सत्पथी (ओडिय़ा), बुलाकी शर्मा (राजस्थानी) और वन्नदासन (तमिल)।
जेरी पिंटो (अंग्रेज़ी), नासिरा शर्मा (हिन्दी), बोलवार महमद कुं (कन्नड), एडविन जे.एफ़. डिसोजा (कोंकणी) और गीता उपाध्याय (नेपाली) को उनके उपन्यास हेतु पुरस्कृत किया जाएगा।

नृसिंह प्रसाद भादुड़ी (बाङ्ला) को उनके निबंध के लिए और स्वराजबीर (पंजाबी) को नाटक के लिए तथा अज़ीज़ हाजिनी (कश्मीरी) और निज़ाम सिद्दिक़ी (उर्दू) को समालोचना के लिए पुरस्कृत किया जाएगा।

साहित्य अकादमी ने भाषा सम्मान की भी घोषणा की

साहित्य अकादमी वर्ष 2015 के लिए उत्तरी तथा दक्षिणी क्षेत्रों से कालजयी एवं मध्यकालीन साहित्य में योगदान हेतु दो लेखकों व विद्वानों तथा अकादमी द्वारा ग़ैर-मान्यताप्रदत्त भाषाओं कुडुख, लद्दाखी, हल्बी एवं सौराष्ट्र में योगदान हेतु छह विद्वानों अथवा लेखकों को भाषा सम्मान प्रदान करने की घोषणा की।
साहित्य अकादमी कालजयी एवं मध्यकालीन साहित्य
डा.आनंद प्रकाश दीक्षित को कालजयी एवं मध्यकालीन साहित्य (उत्तरी) में उनके महत्वपूर्ण योगदान हेतु के लिए तथा नागल्ला गुरुप्रसाद राव को कालजयी एवं मध्यकालीन साहित्य ( दक्षिणी) में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह सम्मान देगी।
गैर मान्यताप्रदत्त भाषाओं में उनके योगदान हेतु भाषा सम्मान प्रदान किया जाएगा। डा. निर्मल मिंज कुडुख भाषा तथा साहित्य की समृद्धि के लिए दिए गए उनके बहुमूल्य योगदान हेतु उनको भाषा सम्मान दिया जाएगा। प्रो. लोजांग जम्सपाल तथा गिलोंग थुपस्तान पलदान संयुक्त रूप से लद्दाकी भाषा तथा साहित्य की समृद्धि के लिए दिए गए उनके बहुमूल्य योगदान हेतु भाषा सम्मान दिया जाएगा। हरिहर वैष्णव को हल्बी भाषा, डा. टी. आर. दामोदरन तथा टी.एस. सरोजा सुंदराराजन संयुक्त रूप से सौराष्ट्र भाषा तथा साहित्य की समृद्धि के लिए दिए गए उनके बहुमूल्य योगदान हेतु यह सम्मान दिया गया है।
प्रत्येक भाषा सम्मान के अंतर्गत एक लाख रुपए की राशि, एक ताम्र फ लक तथा प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा। संयुक्त विजेताओं के मामले में सम्मान राशि दोनों विजेताओं द्वारा समान रूप से साझा की जाएगी। यह सम्मान विशेष समारोह में साहित्य अकादमी के अध्यक्ष द्वारा प्रदान किया जाएगा।


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