Saturday, February 13, 2010

दिल तो बच्चा है...



बसंत में यदि घोंघाबसंत भी संत जसा व्यवहार करें तो थोड़ा आश्चर्य जरूर होता है। घुरहू पुत्र निरहू के व्यवहार में आए इस बदलाव से सभी परेशान थे। हालांकि गांव के पंडित सुखनंदन ने उसे मकर संक्रांति पर अतिशीतल जल से नहला कर उसके पिता को यह विश्वास दिला दिया था कि अब वह प्रेम ज्वर से पीड़ित नहीं होगा। लेकिन बुरा हो उस रेडियो प्रोगाम का जिसमें लव गुरु मध्य रात्रि को विरह में जल रहे प्रेम-पियासो को नायिका को रिझाने का टिप्स देता है। निरहू एक दिन शहर क्या गया उसके मित्र चंपू ने उसे रेडियो पर प्रेम गीत युक्त यह प्रोग्राम सुना दिया फि र क्या था बासमति के प्रति उसके मन की उत्कं ठा हिलोंरे मारने लगी।
पिछले साल भी फरवरी में लाख मनाने पर भी वह नहीं माना और कालेज के बाहर पुष्पराज गुलाब का गुलदस्ता लेकर खड़ा रहा। हां मास्टर मनसुख ने उसकी इतनी धुलाई की कि निरहू का तनसुख छिन गया। इसके बाद जुगानी चाचा को इससे एक कहानी मिल गई उन्होने लोगों से यह कहना शुरू कर दिया कि जबसे निरहू ने हिन्दी के मास्टर पियारेलाल की क्लास में कबीर का दोहा, प्रेम गली अति सांकरी जामे दो न समाय, सुना है तब से वह बासमति के दूसरे प्रेमी की तलाश कर रहा है। निरहू ने किसी से सुना कि बासमति को सोने की चेन से बड़ा लगाव है फिर क्या था घोर मंदी में भी उसने प्यार की गाड़ी पटरी पर लाने के लिए निरंतर बिना तेल पानी के उसे दौड़ाता रहा। लेकिन बात नहीं बनी। उसे यह राहत की बात लगी कि इस बार रामसेना या रावण सेना के लोग प्रेमी युगलों को परेशान नहीं करेंगे। शिव या पार्वती या हनुमान सेना जसे लोग भी खान के पीछे पड़े हैं उनका मन फरवरी के पवित्र प्रेम उत्सव की तरफ नहीं गया है।
निरहू का यह दुख सहीराम को देखा नहीं गया और उन्होंने उसे परामर्श दिया कि यह प्रेम टाइप आवेग निरंतन मन को विचलित करने वाला है। अब उसे दाल-रोटी की चिंता करनी चाहिए। लेकिन चंचल चितवन चंचला के प्रति उसका लगाव मंहगाई की तरह बढ़ता ही जा रहा था। और यही कारण था कि वह बसंत में भी संत बना घूम रहा था और इसका असर फागुन के महीने में भी बरकरार रहा। उसका शहरी मित्र उसे प्रेम दिवस से पूर्व के दिवसों की जानकारी निरंतर दे रहा था। वह बता रहा था कि फ्रेंड्स डे से लेकर रोज और प्रपोज टाइप डे जसे कठिन रास्तों से गुजरकर व्यक्ति वेलेंटाइन डे की मंजिल पर पहुंचता है। यह उतना ही कठिन है जसे वित्त मंत्री का संसद में मंहगाई के मुद्दे पर विपक्ष के प्रश्नों से गुजरना लेकिन विचलित होने की जरूरत नहीं। अच्छे बच्चे इस भंवर को पार कर जाते हैं। अपने पुत्र की पीड़ा से घुरहू परेशान हैं। लव गुरु टिप्स दे रहे हैं दिल तो बच्चा है .....अभी कच्चा है ..।

चित्र- साभार गूगल

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...