Tuesday, April 21, 2009

अभी तो मैं जवान हूं

अभी तो मैं जवान हूं

27 अप्रैल को जोहरा सहगल का 97 वां जन्मदिन है उम्र के वह कला जगत की अकेली महिला हैं जिसके ऊपर यह गजल सटीक बैठती है कि अभी तो मैं जवान हूं। यूं तो वह लोगों से कम बातचीत करती हैं लेकिन पिछले महीने अशोक वाजपेयी के सौजन्य से एक कार्यक्रम में उन्होने अपने बारे में बताया निश्चय ही वह क्षण सबके लिए सुखद था लगभग ढाई घंटे उन्होने जिस तरह श्रोताओं को बांध के रखा वह अद्भुत था, उस सुनी गई बात को मैने लिखने का प्रयास किया है, सुझाव, संदेश और आलोचना आमंत्रित है। उम्मीद है उनके बारे में जो जानकारी दी जा रही है आपको पसंद आएगी- यह कड़ी आगे भी जारी रहेगी

१- मैं डांसर बनना चाहती थी
कभी-कभी कु छ लोग समय से आगे निकल जाते हैं। और उनके लिए उम्र कोई मायने नहीं रखती। उम्र में शतक के करीब पहुंच चुकी और आवाज में वो दम कि अनजान आदमी शायद ही जान पाए कि इस शख्सियत की उम्र इतनी है।
27 अप्रैल 1912 में नजीबाबाद मुरादाबाद में जन्मी जोहरा सहगल वालिद मुमताउल्ला खां के पांच बेटियों और दो बेटों में से एक हैं। पिता के प्रगतिशील विचारों के होने के कारण उन्हे और उनकी बहन को पाकिस्तान के लाहौर के क्वीन मेरी कालेज पढ़ने के लिए भेजा गया। नहीं तो उस वक्त एक मुस्लिम समाज में ऐसा करना संभव नहीं था।
कालेज में जोहरा का अंदाज एक टॉम बॉय जसा था। लेकिन नृत्य और संगीत का शौक बेहद था। एक कट्टर मुस्लिम परिवार नृत्य सीखने में यहां भी बाधा बना था लेकिन उनके वालिद ने एक बार फिर उनका कहना माना और वह तीन साल तक जर्मनी में नृत्य सीखा। वहीं पर इनकी पहली मुलाकात उस समय के मशहूर डांस ग्रुप के संचालक उदय शंकर से हुई और बाद में जोहरा जी ने उनके साथ काम भी किया।
अपने एक संस्मरण में वह बताती हैं कि वह 1938 में ही न्यूयार्क और लांस एंजिल्स में काम करने गई।

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...