Wednesday, June 17, 2009

.... पाने के लिए तुम्हारे पास ऑस्कर है


पाने के लिए तुम्हारे पास ऑस्कर है

चुनाव के पूर्व और चुनाव के बाद भी स्लम बस्तियों की हालत में सुधार न होने से स्लम बस्तियों के लोगों में आक्रोश था लेकिन आक्रोश इस तरह का नहीं है कि केंद्र सरकार, प्रदेश सरकार या संभावित विकास करने वाले किसी विभाग पर इसका अल्प, दीर्घ या अल्पाधिक प्रभाव पड़े। लेकिन संबंधित अधिकारी तक कोई बात कहने वाला नहीं था। बस्ती के विकास के लिए तमाम तरह की समितियां बनी स्मलडागों ने निक्कर पहन घूम-घूमकर चंदा मांगा। बेस्लमडागों ने उन्हे ऐसे हालात में देखकर बालकनी से जी भर के चिढ़ाया। लेकिन स्लमडागों ने एक साथ नारा लगाकर कहा दुनिया के स्लमडागों एक हो जाओ खोने के लिए तुम्हारे पास कु छ नहीं है और पाने के लिए तुम्हारे पास आस्कर है। यह सुनकर एक बेस्लमडाग ने कहा कि आस्कर आखिर दिया किसने, इस पर स्लमडाग बगले झांकने लगे। बेस्लमडाग यह देखकर मुस्कुरा रहा है। स्लमडागों की सभा में एक नेता टाइप स्लमडाग ने अपने विचार व्यक्त किए कि एक सर्वे में नतीजा निकाला गया है कि मूड खराब हो और स्थितियां प्रतिकूल हों तो व्यक्ति अपने काम पर ज्यादा ध्यान देता है। खाए, पिए, अघाए और सतत आनंद में डुबकी लगाने वाले लोगों की तरक्की रुक गई है। इस भाषण को सुन रहा एक बेस्लमडाग जोर देकर पूछा कि तुम किस नस्ल के स्लमडाग हो। इस पर एक बार फिर सभी स्लमडाग निरुत्तर हो गए।
स्लमडाग ने उछलकर कहा देखो समाजवाद अपनी जड़ें जमा रहा है अब एशिया मूल के लोगों को भी आस्कर मिल रहा है हम जानते हैं इससे बेस्लमडागों को खुजली हो रही है, अरे हो रही है तो होती रहे हम तो दुनिया भर के स्लमडागों को एक करने में जुटे हैं। ये बात सुनकर बेस्लमडाग को जम्हाई आने लगे। उसने बदन तोड़ते हुए कहा ये ख्यालीपुलाव बंद करो ये सब बुद्धिजीवियों के सोचने की चीज है अपना दिमाग इसमें मत खपाओ, औकात में रहो, बहुत कर चुके बकबक, इस पर स्लमडागों ने मोर्चा खोल दिया, बात हाथापाई तक आ गई। फिर एक सुर में सभी बेस्लमडागों ने भूकना शुरू किया, लेकिन स्लमडाग का कोई नेता आगे नहीं आया। अखबार में इसकी चर्चा हुई, चैनलों ने भी इसे कवर किया, बुद्धिजीवियों ने पानी पी पी कर अपनी राय रखी। इसे वैश्विक परिदृश्य में देखा जाने लगा जब तक बिक सकती थी खबर बिकी, फिर सब कुछ शांत।
हफ्तों बाद एक स्लमडाग फिर रोटी की जुगाड़ में बेस्लमडागों की बस्ती में निकला उसने एक दुकान पर मैगजीन के मुख्य पृष्ठ पर डैनी बॉयल की फोटो देख अपने मसीहा की तरह निहारने लगा तभी दुकानदार ने उसे दुरदुरा दिया।

अभिनव उपाध्याय

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...