अरुण कुमार त्रिपाठी
जून सन 2007 में जब एम के कनिमोझी ने चेन्नई में
संगमम का आयोजन किया तो मुख्यमंत्री, पिता और
द्रमुक प्रमुख मुत्तुअल करुणानिधि ने उन्हें अपना
साहित्यक उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। तब किसी को
इस बात का अहसास नहीं था कि साहित्यिक प्रतिभा
की धनी यह शमीर्ली बेटी एक दिन देश के इतिहास
के सबसे बड़े घोटाले की अभियुक्त बनेगी। जाहिर है
पिता की साहित्यिक विरासत को ढोने वाले लोग देश
और दुनिया में कई बार विवादों में आते हैं। लेकिन
महज साहित्यिक प्रतिभा के आधार पर कोई इतना बड़ा
घोटाला नहीं कर सकता। उसके लिए जरूर दूसरे तरह
की प्रतिभा होनी चाहिए। वह प्रतिभा राजनीतिक और
आर्थिक दोनों तरह की चाहिए। इसलिए कनिमोझी ने
पिता की साहित्यिक विरासत से ज्यादा आर्थिक विरासत
को ढोने में ज्यादा रुचि दिखाई और वही वजह है कि
आज सीबीआई उनके दरवाजे तक पहुंच गई है।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक की
तरह कनिमोझी ने साहित्यिक प्रसिद्धि ओढ़ नहीं रखी
है। वे सचमुच प्रतिभाशाली हैं और राजनीति में आने से
पहले बेहद सामान्य ढंग से जीने में यकीन करती थीं। वे
मुख्यमंत्री की बेटी होते हुए आटोरिक्शा में सहज होकर
आती जाती थीं। तैंतालीस वर्षीय कनिमोझी तमिल की
एक प्रतिष्ठित कवयित्री हैं और उनकी कम से कम
पांच किताबें आ चुकी हैं। वे एक गायिका भी हैं और
उन्होंने एक प्रोडक्शन के लिए अपना कैसेट भी तैयार
करवाया है। वे एक पत्रकार रही हैं और उन्होंने पहले
द हिंदू अखबार के चेन्नई कार्यालय में एक उपसंपादक
का प्रशिक्षण भी लिया है। उसके बाद वे दो तमिल
प्रकाशनों की प्रभारी भी रही हैं। कनिमोझी की इन्हीं
रचनात्मक प्रतिभाओं को देखते हुए उन्हें द्रमुक की
कला, साहित्य और रैशनल्टी विंग का प्रभारी भी बनाया
गया है और तभी पिता करुणानिधि ने उन्हें अपना
साहित्यिक उत्तराधिकारी घोषित किया था। कनिमोझी ने
पहले शिवकाशी के एक व्यापारी से विवाह किया था। पर
वह विवाह चल नहीं पाया। उन्होंने दूसरी बार सिंगापुर के
एक तमिल साहित्यकार से शादी की है।
कनिमोझी का नाम टू-जी घोटाले में कलैगार टीवी की
हिस्सेदारी के कारण आया है। हालांकि इस टीवी समूह
में उनका हिस्सा महज 20 प्रतिशत है और करुणानिधि
की एक अन्य पत्नी दयालुअम्माल का 60 प्रतिशत।
लेकिन सीबीआई की चार्जशीट में दयालुअम्माल के
बजाय कनिमोझी का नाम आने से सभी को हैरानी हुई
है। सीबीआई का कहना है कि कलैगार टीवी में शाहिद
बलवा की कंपनी डीबी रियल्टी ने टू-जी घोटाले से कमाए
गए 200 करोड़ रुपए लगाए हैं, लेकिन चूंकि कनिमोझी
उसके संचालन में सक्रिय थीं, इसलिए उन्हें इस मामले
में अभियुक्त बनाया गया है। यह पूछे जाने पर कि
अब तक कनिमोझी को क्यों नहीं आरोपी बनाया गया,
सीबीआई का कहना था कि वह चार्जशीट के माध्यम से
विधानसभा चुनाव पर असर डालते नहीं दिखना चाहती
थी। जबकि थोड़े दिन देर करने से कोई फर्क नहीं पड़ने
वाला था। लेकिन द्रमुक और करुणानिधि के परिवार
जिसमें वैसे कोई विशेष अंतर नहीं है, उसकी यही राय है
कि दयालु अम्माल को आरोपी बनाए जाने का मतलब
कुछ और होता। तब यह सीधे करुणानिधि पर हमला
होता। जहां तक कनिमोझी को अभियुक्त बनाए जाने
का सवाल है तो उस पर पार्टी पदाधिकारियों के साथ
करुणानिधि के बेटों एमके अझगिरी और एमके स्टालिन
दोनों ने संयम बरतने की सलाह दी है।
दरअसल सन 2007 में जब कनिमोझी राज्यसभा की
सदस्य बनाई गईं तभी से वे पार्टी और परिवार की
आंखों की किरकिरी बनी हुई हैं।उन्हें विरासत की जंग का
एक पक्ष माना जाने लगा था। उनके राजनीतिक उभार
के साथ ही करुणानिधि के परिवार का एक राजनीतिक
सितारा दयानिधि मारन गर्दिश में जाने लगा। उन्हीं
दिनों उनसे दूरसंचार मंत्रालय ले लिया गया और उसका
जिम्मा कनिमोझी के करीबी समझे जाने वाले ए राजा
को दे दिया गया। तेज तर्रार तो दयानिधि मारन भी
काफी माने जाते थे, लेकिन कनिमोझी की निगाह में ए
राजा ज्यादा कुशल थे। कनिमोझी और ए राजा की इस
नजदीकी ने दिल्ली से लेकर चेन्नई तक जो गुल खिलाए
वह अब जगजाहिर है। लेकिन इस दौरान दयानिधि मारन
से उसकी प्रतिस्पर्धा के चलते भी उन्हें साहित्य के
बजाय आर्थिक विरासत संभालने पर मजबूर होना पड़ा।
वह होड़ थी सन टीवी और कलैगार टीवी की। सन टीवी
को दयानिधि मारन संभाल रहे थे और उसी की होड़ में
कलैगार टीवी शुरू किया गया। हालांकि कलैगार टीवी
कभी भी सन टीवी का मुकाबला नहीं कर पाया लेकिन
इस कोशिश में वह लगा जरूर रहा। टू-जी घोटाले का एक
सबक यह भी है कि किस तरह से राजनीति और मीडिया
की होड़ में अच्छी खबरें निकलने और अच्छा काम
होने के बजाय बड़े-बड़े घोटाले हो जाया करते हैं। डीबी
रियल्टी के 200 करोड़ रुपए लगाए जाने के तथ्य को तो
कनिमोझी स्वीकार करती हैं, लेकिन वे उसे कर्ज के तौर
पर मानती हैं।
वे उस पर आयकर भी दिखा रही हैं और
यह भी दावा कर रही हैं कि उसे वापस कर दिया गया है।
कनिमोझी करुणानिधि की तीसरे नंबर की पत्नी
रजतिअम्माल की बेटी हैं। आज परिवार में वे अकेली
पड़ती जा रही हैं। भले ही करुणानिधि उनका कानूनी
तौर पर बचाव करने का दावा कर रहे हैं लेकिन उनके
राजनीतिक बचाव के लिए न तो पार्टी आगे आ रही है
न ही परिवार। उधर कनिमोझी के प्रतिव्दंव्दीं दयानिधि
मारन इस कार्रवाई से बहुत खुश हैं।
राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और घोटाले ने कनिमोझी के
राजनीतिक व्यक्तित्व और छवि को काफी नुकसान
पहुंचाया है। जिस दिन देश के प्रमुख टीवी चैनलों में
उनका नाम चार्जशीट में शामिल किए जाने की खबर
चल रही थी और तमिलनाडु में भी उनके विरोधी चैनल
उसे चिल्ला चिल्ला कर बता रहे थे, उस दिन उनका
कलैगार चैनल मौसम की खबरें बता रहा था। उसका
कहना था कि अगले तीन दिनों तक बादल छाए रहेंगे
और बारिश होती रहेगी। निश्चित तौर पर कनिमोझी
को राजनीतिक बादलों ने घेर रखा है। देखना है कि 13
मई के बाद वे छंटते हैं या और घिरते हैं। इसी के साथ
यह भी सोचना है कि एक रचनात्मक प्रतिभा की धनी
कनिमोझी अपनी कविता और साहित्य से इस नुकसान
की कितनी भरपाई करती हैं ?