Tuesday, July 20, 2010

बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी.....

सुनिए जी हम बात करना चाहते हैं? सच कहें तो जी भर के बात करना चाहते हैं? मानिए न मेरी बात हम बात करना चाहते हैं? इतने आग्रह पर तो गूंगा भी बात करने को राजी हो जाएगा लेकिन मियां शर्त है, और शर्त भी ऐसी कि हंसिए लेकिन दांत न दिखे या बोलिए लेकिन जुबान न खुले उसी तरह दौड़िए लेकिन पैर न हिले। जनाब बात भी हम ऐसे ही करना चाहते हैं। जुगानी ने सभा में यह शर्त रख दी। बात करने तो सब आए थे कि बिना बात किए ही जाना उचित समङो। किसी ने कोशिश भी की तो शर्त के आगे फे ल हो गए। तो हुजूर शर्ते इस तरह की भी हो सकती हैं। इस शर्त के आगे तो शाह मुहम्मद कुरैशी की शर्त तो कुछ भी नहीं। बिना वजह इसे लोग तूल दे बैठे। पड़ोसी को समस्या भी क्या है? बस उसी शर्त की तरह है कि खाना बनाओ लेकिन धुंआ मेरे घर नहीं आना चाहिए। फूल चढ़ाओ लेकिन सुगंध को कैद कर लो। चाचा चकचक हमेशा पड़ोसियों के लिए लट्ठ रखते थे लेकिन अब जमाना बदल गया पड़ोसी मिसाइल रखता है। जरा सी चूं चिकर करोगे तो फेंक देंगे। और ऐसे फे केंगे कि फिर पता भी नहीं चलेगा। लेकिन अपने पड़ोसी को कौन समझाए कि खून खराबा से कुछ नहीं होने वाला। अगर कुछ होगा तो मुहब्बत से लेकिन पड़ोसी से मुहब्बत परवान कहां चढ़ पाती है। फू ल दो तो वह उसका रंग-गंध नहीं देखता है हां कांटे पर नजर पहले जाती है। जब मुहब्बत के कांटे पड़ोसी को चुभने लगे तो मामला तो बिगड़ेगा ही।

तो हम फिर वार्ता पर आते हैं, हुजूर नतीजा कुछ न निकले लेकिन हम तो बतियाएंगे। एक दो बार नहीं, जब भी जी चाहे, यही नहीं, जब आदेश मिले, और तब भी जब वो चाहें। लेकिन चाहत तब अधूरी रह जाती है जब वह बात करते करते कुछ और कहने लगते हैं। कभी मुस्कुराते हैं, कभी खिसियाते हैं, कभी डराते हैं, कभी धमकाते हैं, कभी करीब आते हैं और कभी बात करते करते फु र्र्र। हुजूर ऐसे में कैसे बात करें। पड़ोसी के साथ तो एक और समस्या है पता ही नहीं चलता कि बात किससे करें। कभी कभी घर में सब बाप जसे लगते हैं और कभी कभी सब बेटा। जब मामला फायदे का हो तो पड़ोसी के घर सब मुखिया बन जाते हैं लेकिन जब घाटे का हो तो सब बच्चे। ऐसे में वार्ताकार की स्थिति बहुत नाजुक हो जाती है। हम तो गाना भी गाते है कि ‘दूर रह कर न करो बात करीब आ जाओज् लेकिन मर्जी उसकी फिर भी पड़ोसी चतुर है हर लड़ाई और मुहब्बत के बाद वह बात जरूर करता है। अब सुना है चुपके से बात करना चाहता है। उसे कौन समझाए कि बात निकलेगी तो फिर दूर तलक जाएगी..

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...