Tuesday, June 15, 2010

अपनी बिरादरी के लोग

राष्ट्रमंडल खेल में लठैतों, कबड्डी खेलने वाले, तीर मारने वाले, तैराकी करने वाले खिलाड़ी टाइप लोगों को दिखाने के लिए दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाने की तैयारी सरकार कर रही है। लेकिन यह डर सबसे मन में है कि कहीं कोई आशिक बीच में अड़ंगा न लगा दे। ये डर इस कदर बरकरार है कि बड़े हाकिम अब लोगों को प्यार से समझाने लगे हैं। किसी के साथ भी अभद्रता नहीं की जाएगी। भिखारियों का हाकि मों से हमेशा गुड़-चींटी का रिश्ता रहा है। दिल्ली में कोई भी निजाम बना, भिखारी हमेशा खुश रहे। लेकिन राजधानी में जब से यह फरमान जारी हुआ कि भिखारियों को राष्ट्रमंडल खेल के तहत दिल्ली से पलायन करना पड़ेगा तो दिल्ली के भिखारियों का दिल ही बैठ गया। सबने एक सुर में निजाम को बद्दुआएं दी और कहा लोग आइपीएल में पैसा बना रहे हैं लेकिन बीपीएल के नीचे वालों को कोई नहीं पूछ रहा है। गौरतलब है कि दिल्ली के भिखारियों में एक बड़ी संख्या पोस्टग्रेजुएट भिखारियों की है जो अंग्रेजी सहित विभिन्न भाषाओं के अखबार पढ़ सकते हैं और नए नए लुभावने अंदाज में भीख मांगते हैं। ये हाजिर जवाब भी हैं। मसलन, किसी ने कहा कि हे दिल्ली के अमीर भिखारियों अब तुम्हारी छुट्टी होने वाली है। झट से एक स्मार्ट भिखारी ने कहा क्यों? क्योंकि हम भिखारी हैं। अरे महंगाई ने तो देश को भिखारी बना दिया है। किस-किस को निकालोगे? कहीं ऐसा न हो कि राष्ट्रमंडल खेल के नाम पर बाबू जी लोग देश का बंडल कर के अपना कमंडल भर ले। महोदय निरुत्तर हो गए। यह एक विकट समस्या न बन जाए इसके लिए आला अधिकारियों ने फरमान जारी किया। विदेशी मेहमान जब इतने भिखारी देखेंगे तो हमारे देश की भद्द पिट जाएगी। इन्हें रुख्सत करने का कुछ तो उपाय करना होगा
इतने भिखारी देखकर विदेशी मेहमान एक बार तो समझ ही जाएंगे कि हम सही जगह पर नहीं आए हैं। ये तो पहले कहते ही थे कि भारत जादूगरों और सपेरों का देश है। अब भिखमंगों का देश भी कहने लगेंगे। इस विचार-विमर्श के बीच कटोरा बजाता एक भिखारी आ गया बोला, चाहे लाख कोशिश कर लो हम तो नहीं हिलेंगे। उसने सबके सामने चुनौती रखी। अधिकारी पशोपेश में हैं कि क्या किया जाए। किसी ने कहा माई-बाप हमारी नौकरी का तो कुछ ख्याल करो, मान जाओ। चतुर भिखारी ने फटा पैजामा मोड़ा, कटोरा बजाया और तड़क कर बोला हम राजधानी के मान्यता प्राप्त भिखारी हैं, ऐसे नहीं जाएंगे। तभी एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इनसे कुछ ले दे कर मामला निपटा लो। ये अपनी बिरादरी के मालुम पड़ते हैं। यह सुनते ही भिखारी ने जारे-जोर से कटोरा बजाया और खुशी से दांत बाहर निकाल लिए।

लाइन बदलने की सोच

बजट के बाद आये दो बड़े मध्यम दो तुफानो में एक बाबा समेत कई रसिक टाईप बाबाओं को पकड़ा गया .और दूसरा महा माया मायावती को नोटों की माला पहनाकर सुशोभित किया गया. जब अखबारों के फर्स्ट पेज पर यह समाचार भिखारियों को मिला और महामाया की तस्वीर उन्होंने देखि तो जीभ काटकर रह गए.जब यह समाचार उन्हें मिला की महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करने वाले संसद की नोटों की माला उनके समर्थकों ने खिंच ली तब वह दांतों टेल जीभ काट लिए.गौर तलब है की जब भी कोई धन सम्बन्धी क्खाबर भिखारियों को लगती है यह ऐसे ही जीभ काट लेते हैं. उनके अन्दर अजीब सी बेचैनी आ जाती है.एक भिखारी को जब यह खबर मिली की बाबा लोग अब बालाओं के माध्यम से कमाई कर रहे हैं तो उसने दूरभाष से अपने बाबा मित्र से पूछा की इस तरह के धंधे में कितनी कमी हो जाती है? बाबा ने धंधे के बारे में वही पुराना राग अलापा बस रोटी पानी चल जा रही है , क्या है की बड़ा लफड़ा है . पुलिस तो सूंघती रहती है जब तक दो चार बोटी न फेंको पीछा ही नहीं छोड़ते. भिखारी मन मरकर रह गया .
इच्छाधारी बाबा के पकडे जाने पर सभी बाबाओं को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही थी .साथ में बिजनेस में घटा न हो जय इसके लिए भी परेशान थे. सभी बाबाओं में एक मीटिंग बुलाई, यह मीटिंग श्री श्री 1oo8 गुरुघंटाल जी महाराज के आश्रम में हुई.सभा में इसपर चिंता जताई गई की कुछ लोग इस धंधे को ख़राब कर रहे हैं. न उनमे चतुरता है और न ही चपलता.आखिर बालाओं के साथ विहार करने की क्या जरूरत थी ? हम तो जायेंगे सनम तुमको भी ले जायेंगें. और बाबा सुघर नन्द ने हद कर दी. खु द ही सिने तारिका के साथ रस रचाने लगे. जरा भी आत्म सयम नहीं है. अगर हमलोग अपनी हरकतों में सुधार नहीं करेंगे तो भक्त भड़क जायेंगे.तब हो चूका धंधा.उस बाबा भोग देव को क्या पड़ी थी जो योग सिखाते-सिखाते चुनाव लड़ने के लिए पार्टी बना लिया.थोडा सब्र करता सब मिलकर लड़ते.भाई संगठन में शक्ति है. बहरहाल सभा में यह निर्णय लिया गया की अब सब बाबा संयम से कम लेंगे.और काम करने के त्रिकोण में तबदीली लानी होगी . गुरु घंटाल ने एक और सुझाव दिया की अब हमें अपने-अपने पारम्परिक नाम छोड़कर नए नाम के साथ बाजार में आना चाहिए. सर्व्पथं गुरु घंटाल ने अपना नाम बदलकर कॉर्पोरेट बाबा रखा . नाम बिलकुल समय के अनुकूल था सबको बहुत पसंद आया.बाबा व्यापारिक घरानों के प्रोडक्ट लोंच करने लगे.अब वह जन्मदिन पूजा करने की नहीं बल्कि केक काटने की सलाह देने लगे.उनकी प्रसिद्धि देखा कर और बाबा भी उनसे सलाह लेने आने लगे.बाबा चयितु राम जो किसानो को इस साल कौन सी फसल बोना चाहिए और पानी कब और कितना बरसेगा इसकी भविष्यवाणी करते थे धंधा मंदा होने पर बाबा के पास पहुंचे बाबा ने समस्या सुनी और उनका नाम मानसून बाबा रखने की सलाह दी धंधा चल निकला . बाबा के दर्शन अब चैनलों पर होने लगे.चैनेल की टीआरपी भी उछलने लगी . धन वर्ष से बाबाओं का तन मन डूबने लगा. लोकतंत्र के पहरुए नेता निरंतर हार का मुह देखने के बाद कॉर्पोरेट बाबा की शरण में आये. बाबा ने समझाया , वत्स जो धन पार्टी कोष में देते थे वो अब दान पात्र में दलारो कल्याण होगा. सभी भक्त चुनाव के समय प्रचार करने जायेंगे.
नेता जी बोले , बाबा नाम बदने की जरूरत नहीं पड़ेगी? बाबा ने पूछा तुम्हारा नाम क्या हैं वत्स? नेता जी ने कहा chiraujimal तोता राम. बाबा ने कहा शोर्ट नेम का जमाना है . अबसे तुम्हारा नाम चिरतो रहेगा . फ़ॉर्मूला काम आया नेता जी की विजय हुई. भिखारी अब हर साल बजट के बाद की घटनाओं में उअल्झा है. बाबाओं के चमत्कार देख वह लाइन बदलने की सोच रहा है.

मंहगाई का स्वाद....

सब अपनी-अपनी समस्या के समाधान के लिए बाबा घंटानंद के यहां जाते हैं। सबकी विभिन्न तरह की समस्याएं हैं। लौकिक से लेकर पारलौकिक समस्याओं का समाधान यह अपनी विभिन्न विद्याओं के माध्यम से बताते हैं। ये विद्या उन्हे कहां से मिली और आगे वह किसको इसे प्रदान करेंगे इसके बारे में पूछने पर वह आधे इंच में रहस्यमई मुस्कान बिखेर देते हैं। वह कहते हैं कि वत्स, समाधान से मतलब रखो बहुत जानने की कोशिश करोगे तो व्यवधान पड़ जाएगा।
बहरहाल उनसे समस्या का समाधान जानने राजा रंक भिखारी नर नारी सब बेधड़क आते थे। किसी नेता ने एक बार उनसे पूछा बाबा हर बार चुनाव लड़ता हूं लेकिन जमानत जब्त हो जाती है? बाबा ने फिर एक चिरपरिचित मुस्कान बिखेरी और कहा कि मैं भुक्त भोगी हूं लेकिन इसका एक उपाय है, आप जमानत पहले ही दे दें कि जब्त होने की नौबत ही न आए। प्राय: जब हम कुछ करने में असफल हो जाते हैं तो नेतागिरी करते हैं। लेकिन उसे भी गंभीरता से नहीं। नेतागिरी में यदि कोई गंभीर नहीं है तो निश्चित रूप से यह लोकतंत्र का अपमान है। लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आये दिन लोग प्रश्नचिह्न् खड़ा करते हैं लेकिन इसको लेकर गंभीर नहीं है। बाबा से अपनी समस्या के समाधान के रूप में नेता जी को ऐसी परिचर्चा की उम्मीद नही थी।
पड़ोस की आंटी को अपने बेटे से लेकर समस्या थी वह उसके व्यवहार में हो रहे परिवर्तन से दुखी थी बाबा के दरबार में गई और कहा मेरे बेटे के लिए कुछ करिए। यह अकसर आईपीएल के बाद उदास रहता है। बाबा ने बच्चे को बुलाया और पूछा, बच्चे ने कान में बाबा से सट्टे में धनहानि की बात बताई। बाबा ने कहा चिंता मुक्त हो बालक अब 20-20 का वल्र्ड कप चल रहा है और इसमें मोदी भी नहीं है। इस बार सारी कमी की भरपाई कर लो। खिलाड़ियों ने खुद तो मौज लूटा और अनाड़ियों को भिखमंगा बना दिया। सहीराम की पड़ोसन बासमति की दूसरी समस्या थी वह बाबा के पास गई और बोली, बाबा जी मैं पिछले एक वर्ष से खाना बना रही हूं लेकिन किसी ने मेरी तारीफ नहीं की। मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रह रहा है। मैं खाना दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बतानी हूं। मैं किस दिशा में मुख करके खाना बनाऊं कि लोगों को खाना स्वादिष्ट लगने लगे? बाबा घंटानंद थोड़ी देर विचार करने के बाद बोले, देवी, तमाम प्रकाशित अप्रकाशित वाचिक और मूक अनेक माध्यमों से अध्ययन के बाद जो ज्ञान मुङो प्राप्त हुआ है इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि स्वाद का दिशा से कोई संबंध नहीं है लेकिन घर वालों से पूछो कि कहीं मंहगाई ने स्वाद नहीं बिगाड़ दिया है।

तुम्ही से मुहब्बत और तुम्ही से लड़ाई

जनाब तुम्ही से मुहब्बत और तुम्ही से लड़ाई मुहावरे को अगर दृश्य रूप में समझना हो तो एक बार आप नेता सुकंठी से मिल लें। उनके पास प्रेम के से लोगों को प्रेम पाश में बांधने का ऐसा फामूर्ला है कि सबका फार्मूला फेल हो जाता है। सिने सितारों और चांदनियों पर उनका ऐसा जादू चलता है कि बस उनके एक अलाप पर सब सुर में सुर मिला लेते हैं। मंच हो या लंच यह अक्सर उन स्थलों पर अपनी बयानबाजी से मीडिया में छाए रहते हैं। मेरे एक मित्र थोड़े पत्रकार टाइप हैं। कभी कभी उनकी खबरें बस फुसफुसा कर रह जाती हैं। कभी कभी विस्फोट करने के लिए लिखते हैं कि लेकिन एक दम से शांति से छा जाती है। एक दिन उनकी नौकरी पर बन आई। बस किसी ने राय दी और वह झट से नेता सुकंठी से मिले। बोले नेता जी आप कुछ भी बोल दीजिए जो खबर बन जाए, मेरी नौकरी का मामला है। मामला जनता के भला का था उस पत्रकार के परिवार का वोट तो उन्हे मिल ही जाता। उन्होने झट से कहा जल्द ही इस मेरे लोक सभा क्षेत्र में लोगों को मिठाइयां बंटेगी इसके साथ ही जो लोग टीवी में नाचते थे वह खेतों में नाचेंगे। खबर छपी, खबर का असर भी हुआ। सिने तारिकोओं को देखने के लोग पहले नए कपड़े बनवाए, साबुन से नहाया, गेंहूं-चावल बेंच कर झंडा खरीदा। प्रशासन भी जिंस की तरह चुस्त हो गया। पत्रकार की भी बल्ले-बल्ले हो गई। नेता जी की पार्टी से विज्ञापन भी आने लगे। नेता जी ने स्वयं कार्यक्रम में तारिकायों के संग रसभरी नृत्य प्रस्तुति दी। उनकी पार्टी के लगभग उदित और नवोदित दोनों तरह के कार्यकर्ता आए थे। लोगों ने उनसे आशीष लिए। नेता जी को जब लगा कि उनसे अधिक लोकप्रियता उनके कार्यक्रम में आये सुपर स्टार को मिल रही है तो उन्होने तुरंत सुपर स्टार के दुर्दिन के दिन मीडिया के सामने गाने लगे। कुछ दिन बाद सुपर स्टार ने इनकी पार्टी को राम राम कर दिया। नेता जी की महिमा में कोई कमी नहीं आई वह अपनी बोली की गोली चलाते रहे विपक्षी मुस्कुराते रहे। एक दिन किसी मंच पर फिर स्टार से टकरा गए और उन्हे अपना शुभ चिंतक तथा घनिष्ठ मित्र बताया। लंच पर उनसे कहा कि अब स्टार वार खत्म हो गया है। आपकी फिल्में भी ठीक-ठाक चल रहीं हैं। मेरी पार्टी में कार्यकर्ता भी जुड़ रहे हैं। मिल के पार्टी को गति दें तो दोनों की मौजा ही मौजा होगी। भाई स्टार आप मंच पर भाभी जी के साथ आएं तो महिलाओं को प्रतिनिधित्व मिलेगा। अब गुस्सा को थू करो जी, अरे मुहब्बत तुमसे है तो लड़ाई क्या पड़ोसी से करेंगे?

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...