Monday, January 12, 2009

डिप्लोमा इन चाटुकारिता

डिप्लोमा इन चाटुकारिता
विश्व आर्थिक मंदी में गोते खा रहा है। कंपनियां लोगों की कास्ट कटिंग कर रही हैं। ऐसे दौर में हमारा काम लोगों को सही तरह से सरकारी और प्राइवेट सेक्टर में उन लोगों को ट्रेनिंग देना है जो लोगों की तारीफ करने में थोड़ा झिझक महसूस करते हैं। डिप्लोमा इन चाटुकारिता कोर्स के प्रबंधक लम्पट जी बड़े चाव से इसके बारे में सहीराम को बता रहे थे। सहीराम ने उनसे पूछा कि, इस कोर्स को शुरू की जरूरत आपको कैसे महसूस हुई? लम्पट जी ने कहा, यह मेरे व्यक्तिगत अनुभव की देन है। ऐसा हुआ कि मैं एक पार्टी का सक्रिय कार्यकर्ता था लेकिन मुङो चाटुकारिता नहीं आती थी और उम्र के इस पड़ाव पर भी मुङो टिकट नहीं दिया गया। लेकिन राजनीति को छोड़ कर अन्य क्षेत्रों में इसकी क्या उपयोगिता है? सहीराम ने पूछा, लम्पट जी ने मुस्कुराते हुए कहा, लगता है आप भी बिल्कुल सीधे ही हैं, अरे मिनिस्टर से लेकर चपरासी तक इसकी कमी के कारण प्रतियोगिता से बाहर हो जाते हैं और अब तो इसकी जरूरत व्यापक पैमाने पर महसूस होने लगी है।
सहीराम ने इसमें एडमिशन से संबंधित प्रक्रिया पूछी और लम्पट जी ने रिसेप्शन की तरफ इशारा कर दिया। रिसेप्शन पर बैठी चंचला चंद्रमुखी ने ड़ेढ इंच की मुस्कान के साथ ‘हाय हैंडसमज् कहकर उनका स्वागत किया। सहीराम ने उनसे पूछा, कितनी फीस देनी होगी। चंद्रमुखी ने कहा फीस का क्या है इसे डोनेशन ही समझिए यह पब्लिक वेलफेयर में ही है। वैसे आप जसे स्मार्ट के लिए पांच हजार कोई बड़ी रकम नहीं है। अगला सवाल था, यह कोर्स कितने दिनों का है? यह एक हफ्ते के शार्ट टर्म कोर्स की फीस है वैसे हमारे यहां एक महीने, दो महीने से लेकर एक साल तक के कोर्स भी कराए जाते हैं। अगर मास्टर डिग्री या रिसर्च करना हो तो फीस थोड़ी ज्यादा लगेगी लेकिन इसके फायदे की आप कल्पना तक नहीं कर सकते। सहीराम उसकी आंखों की चमक देखकर चौंधिया रहे थे तभी उसने क हा, आप को देखकर ऐसा लगता है कि आप जल्द ही सीख जाएंगे, इसलिए आपके लिए शार्ट टर्म कोर्स ही बेहतर होगा। सहीराम ने फिर पूछा कि आप के यहां कौन-कौन से लोग आते हैं? ओए यंग मैन, ये पूछिए कौन नहीं आता है हमारे यहां राजनीति, फिल्म, कारपोरेट, एजूकेशन, सरकारी मुलाजिम और अलग-अलग क्षेत्रों से लोग आ रहे हैं। पिछले दिनों रिफ्रेशर कोर्स के बदौलत ही कितनों ने इसका लाभ उठाया। अब आप भी देर न करें और दिलखोलकर इसका लाभ लें। उसने मुस्कुराते हुए एक दीर्घ सांस में यह बात कह दी।
सहीराम ने उनका फार्म लौटाते हुए कहा कि, वैसे आपके चेहरे से आपकी उम्र का पता नहीं चलता। रिसेप्शनिस्ट ने फौरन कहा, आप तो पहले से ही एक्सपर्ट हैं।
अभिनव उपाध्याय

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