Thursday, February 12, 2009

बीन की धुन पर अब सांप नहीं, नाचते हैं सपेरे



सांप पर प्रतिबंध के कारण इसमें सपेरों की होती है भागीदारी

सूरजकुं ड मेले में देश के विभिन्न प्रदेशों से आए लोकनृत्यों को देखने में दर्शकों की रुचि रही लेकिन आजकल मेले सपेरा नृत्य की धूम है। लेकिन आश्चर्य इस बात का है यहां बीन की धुन पर सांप नहीं बल्कि सपेरे खुद अपने साथियों के साथ नाचते हैं।
इस सपेरा नृत्य के मुखिया सीसानाथ ने बताया कि अब सरकार ने सांप नचाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। लेकिन दर्शकों को अब भी बीन की धुन सुनने और सांप का नृत्य देखने का शौक है। इसलिए हमारे नृत्य को देखने के लिए देश में ही नहीं विदेशों में भी दर्शकों की कमी नहीं रही।
मूलत: नाथ संप्रदाय के ये सपेरे कानिपा नाथ को अपना गुरू मानते हैं। उनका कहना है कि लोग हमारे बारे में जानना चाहते हैं हमारे नृत्य और बीन की धुन को भी समझना चाहते हैं।
सीसाराम भारत में हरियाणा ट्यूरिज्म की तरफ से इंडिया हैबिटेट सेंटर से लेकर अन्य महत्वपूर्ण स्थानों पर तीस लोगों के साथ प्रस्तुति दे चुके हैं। इसके अलावा वह विश्व के कई देशों में अपनी प्रस्तुति देने गए हैं। इंग्लैंड में बैंड के साथ ‘आन लॉग सांगज् और स्काटलैंड में ‘इमेजिन ग्रेमज् की धुन पर बीन की प्रस्तुति को वह यादगार मानते हैं यही नहीं एक सौ पांच सपेरों के साथ इटली में बीन की प्रस्तुति पर दर्शकों की सराहना वह आजतक नहीं भूलते हैं। वह हरियाणा सरकार का भी धन्यवाद व्यक्त करते हैं कि जो इस कला को जीवित रखने के लिए आर्थिक सहायता और कलाकारों को प्रोत्साहन देती है।

अभिनव उपाध्याय

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