Monday, February 23, 2009

सबकी जय हो

सबकी जय हो
स्लमडॉग मिलेनियर ने भारतीय सिनेमा के लिए भी इतिहास रच दिया। अब विदेशी सिनेमा के लोग भी भारतीयों को थोक के भाव अवसर देगें। पहले बस गिने चुने लोग ही हालीवुड में जाकर अर्ध, पूर्ण और अपूर्ण तरीके से डायलॉग बोलते समय मुंह खोलते थे। जो नहीं जा पाते थे। उनका कलेजा कचोटता था लेकिन फिलहाल संकरा रास्ता और चौड़ा हो गया है। अब भारतीय लोग भी विदेशियों के साथ इस चौड़े रास्ते पर चलेगें। मुम्बई का हर स्लमडॉग अब मिलेनियर बनने के लिए डैनी बोएल का इंतजार करेगा। काश किसी की नजर इधर पड़ जाए।
भारतीय सिनेमा जगत और व्यापार पर भी इसका असर पड़ेगा। तमाम बेस्लमडाग सोच में पड़ गए होंगे। गुलजार ने एक बार फिर अपने को सिद्ध कर दिया। अल्ला रक्खा रहमान अब हालीवुड के मेहमान बन जाएगें। शायद इनका भी रेट बढ़ जाए। अनिल कपूर को भी इसका फायदा मिलेगा। फ्रिदा पिंटो और देव पटेल की भी कई फिल्मों के लिए आफर पाएंगें। माने एक साथ सबकी जय हो गई।
इतनी बधाइयां मिली की मन अघा गया। जय हो गाना, बजट पास होने के बाद पराजय की मुद्रा होने पर भी जुबान पर चढ़ गया। मतलब तबीयत कैसी भी हो हर हाल में जय हो।
सब फायदों के बीच एक बात समझ में नहीं आई, क्या गुलजार ने जय हो से बेहतर गाने नहीं लिखें हैं या रहमान ने इससे अच्छा संगीत नहीं दिया है या भारतीय कलाकारों ने इससे बेहतर अभिनय नहीं किया है। इसका उत्तर भी हम जानते हैं। क्योंकि भारत का हिंदी भाषी गीत प्रेमी गुलजार को और पूरे भारत का संगीत प्रेमी रहमान की संगीत का दीवाना है। लेकिन जब ऑस्कर की बात आती है तो हमें सारी योग्यता मूढ़ता में बदल जाती है। हमें शुक्रगुजार होना चाहिए डैनी बॉयल का जिसकी बदौलत हमारे देश में भी आस्कर आ गया और हम सुबह से ही जय हो-जय हो कहते लगे। एक प्रश्न जो कचोटता है वह यह है कि आखिर कब तक हमें ऑस्कर के लिए डैनी बॉयल जसे लोगों की राह देखनी पड़ेगी।

2 comments:

संगीता पुरी said...

आपका कहना बिल्‍कुल सही है.....पर एक सममान मिला है...इसी खुशी में खुश रहें...महा शिव रात्रि की बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं..

अभिनव उपाध्याय said...

badhai dene k liye dhanyvaad.

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