Friday, June 26, 2009

ये हार का जश्न है

ये हार का जश्न है
लोग खुश हैं, मुस्कुरा रहे हैं, तरह-तरह की मिठाइयां बांटी जा रही हैं, रेवड़ियों के लिए लाइन लग रही है। गर्मी को देखते हुए शरबत और लस्सी की भी तैयारी है। लोग छक कर खा-पी रहे हैं। लोगों को अपने पेट का अंदाजा है लेकिन कुछ लोग बहकने के आदी हो गए हैं उनके लिए बकायद व्यवस्था की गई है। खाना खाकर दवा खाने वाले बहुत कम हैं लेकिन पीकर लुढ़कने वाले बढ़ते जा रहे हैं । जश्न के तमाम कारणों पर विपक्षी पार्टियों के लोगों ने नजर दौड़ाई। कुछ ने गड़ाईं लेकिन कुछ संभावित भी नजर नहीं आया। इसके लिए नियुक्त जासूसों की जानकारी पर भी लोगों ने भरोसा नहीं किया। कोई भरोसा भी करता तो कैसे क्योंकि नेता जी के यहां वे लोग छक कर खा रहे थे जो लोग चुनाव हार चुके थे। किसी ने आशंका जताई हो सकता है, दूसरी शादी करने वाले हों और इसके पूर्व का भोज हो। किसी उनके बेटे के शादी की चर्चा छेड़ी लेकिन किसी भी बात से मन को संतोष नहीं हो सका। इसपर नेता जी के किसी पूर्व परिचित नेता ने साहस करके पूछ ही लिया कि, ‘भाई साहब, ये गाजा-बाजा, ये खाना-पीना, ये बिन मानसून के झमाझम बारिश किसलिएज् इस प्रश्नवाचक मुद्रा में उनके मुख को देखकर नेता जी मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं और अपना हाथ उठाते हुए कहा कि आप यह न समझें कि मुङो चुनाव हारने के बाद सम्पत्ति को खर्च करके पवित्र बनने की इच्छा है, हां ये बात और है कि अक्सर चुनाव जीतने के बाद मुङो पवित्रता का दौरा पड़ा करता था। ये हार का जश्न है। हारने पर हर आदमी दुखी होता है। दुखी होना उसका फर्ज बन जाता है, अगर वह दुखी नहीं होता तो लोग उसे आसामान्य करार देते हैं और चुनाव में हारने वाला व्यक्ति दुखी न हो तो और भी हैरानी होगी। जब मैंने ये जश्न शुरु किया तो लोगों के मन में तमाम तरह की लघु, अति लघु, दीर्घ और सुदीर्घ तरह की शंकाएं उठी लेकिन हमने हर शंका का यथा संभव समाधान करने की कोशिश की।
अब जब मैं चुनाव हार चुका हूं और खुश हूं तो इसमें भी विरोधियों को कोई चाल दिख रही है। लेकिन ये चाल नहीं यह प्रसन्नता है, अद्भुत प्रसन्नता। अगर मैं चुनाव जीत जाता तो विपक्ष के नेता की मेरी कुर्सी चली जाती। यह हार तो मेरे लिए वरदान है।

2 comments:

Udan Tashtari said...

चलिये, बढ़िया है. जश्न मनाने दिजिये.

sangharsh said...

चलो भाई किसी तरह से जश्न मना रहा है..वरना आजकल की दुनिया में लोगों के पास खुशी मनाने तक का समय नहीं है..वैसे अच्छा लगा..

Post a Comment

एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...