Wednesday, August 5, 2009

बदले कैसे कैसे रंग

आप एक बार फिर सुन लीजिए, यह अंतिम चेतावनी है समय से आइए नहीं तो गैरहाजिरी लग जाएगी फिर यह मत कहिएगा कि तनख्वाह कट गई। जबसे बड़े बाबू की गैरहाजिरी में छोटे बाबू को मझले बाबू का कार्यभार सौंप दिया गया है तब से उनकी मानसिक स्थिति पर अतिरिक्त बोझ भी पड़ गया और वह प्राय: जूनियर, थोड़ा सा सीनियर और मौका मिले तो मुस्कुराते हुए सीनियर लोगों को भी सीख दे देते थे। लेकिन दिक्कत यह होती थी कि उन्हे अपने कर्तव्य का ज्ञान कभी-कभी होता था जब कार्यभार सौंपा जाता था। वह प्राय: दफ्तर में आम नागरिक की तरह नमक, तेल, दाल,चावल का भाव लगाते और घर जाते ही बाबू बन जाते। पत्नी से चाय, पानी, रोटी से लेकर जूते में पालिश तक करवाते। सामान खरीदने के लिए पैसे निकालना उनके लिए प्रसव पीड़ा से अधिक कष्टदायक था। इन सारी व्यथाओं से तंग आकर
उन्होनें तलाक दे दिया। काफी दिनों तक वे दुखी रहे लेकिन कब तक रहते। कुछ दिनों बाद उन्होंने दूसरी शादी रचा ली लेकिन शादी कुछ-कुछ राखी के स्वयंवर जसी थी। वह खर्च के बोझ से दबे जा रहे हैं। कभी-कभी आफिस में बाबू और घर पर पति बनने की कोशिश कर रहे हैं । लेकिन कभी सफल कभी विफल। अब वह लोगों को आप बीती सुनाते हैं । इसी बीच वह सहीराम से टकरा गए, उनका चेहरा देखकर सहीराम ने उनसे पूछा दिया, ‘क्या बात है आजकल चेहरे से बाबूगिरी नहीं दिख रही।ज् उन्होंने मुंह लटकाकर कहा कि जबसे नई बीबी ने दादागिरी दिखाई है तब से आफिस और घर दोनों जगह पति बनकर रहने लगे हैं। सहीराम के साथ एक और सज्जन बीच में ही बोल पड़े कि पत्नी के मायके जाने के बाद भी यह इत्र लगाकर साते हैं लेकिन स्वप्न सुंदरी टिकती नहीं है । रात में सूंघकर चली जाती है। इससे इनकी कोमल भावनाएं निरंतर आहत होती हैं। सहीराम ने उनकी आपबीती सुनकर कहा कि परेशान मत हो पत्नी से सुप्रीम कोर्ट के जज तक भयभीत हैं। आप पत्नी के मायके वालों की सेवा किया करें उन्हें, खुश रखें महंगे तोहफे और खाने के सामान लाया करें। उन्होनें इस बात को गांठ बांध लिए और अपने ससुर के आने पर उन्होंने दाल का सूप और फूलों की जगह गोभी रख दिया पत्नी के कारण पूछने पर कहा कि अभी बाजार में दोनों के भाव आसमान छू रहे हैं।
अभिनव उपाध्याय

2 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया!

Science Bloggers Association said...

Saamyik prastuti, Badhaayi.
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

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एक ही थैले के...

गहमा-गहमी...