Saturday, December 20, 2008

यह एफ एम ढेंचू है

यह एफ एम ढेंचू है
सहीराम के पड़ोसी गर्दभानन्द विद्वान होने के साथ- साथ समसामयिक विषयों पर चिंतन भी करते हैं। नाम को लेकर पाठक भ्रम न पालें क्योंकि जब वह बचपन में रोते थे तो गधा देखकर ही चुप होते थे। स्कूल में अध्यापक भी उन्हे प्यार से गधा ही कहते थे। उनका प्रिय पशु गधा ही था। इसलिए मां-बाप ने उनका नाम गर्दभानन्द ही रख दिया।
बहरहाल, आर्थिक मंदी ने न केवल उन्हे नौकरी से निकाला बल्कि उनके विचारों के सेन्सेक्स को भी रसातल में धकेल दिया। अब उनकी बातें सुनने वाला कोई नहीं था। उनकी कुंठा तब और बढ़ गई जब बुश को जूता लगा और वह अपनी भड़ास निकालने के लिए लोगों को खोज रहे थे लेकिन निराशा ही हाथ लगी। किसी सज्जन ने उनकी समस्या को देखकर एक उपाय बताया कि भाई गर्दभानन्द जी, मेरी मानिए तो एक एफएम चैनल खोल लीजिए। इसके कई फायदे हैं, पहला तो यह कि लोगों तक आपकी बात बहुत आसानी से पहुंच जाएगी, दूसरा लोगों का मनोरंजन होगा और तीसरा लोग आपको जानने लगेगें लाभ कि चिंता मत कीजिएगा क्योंकि चुनाव में ही सारा लागत निकल आएगी। गर्दभानंद को बात जंच गई लेकिन इस आर्थिक मंदी के दौर में यह काम इतना आसान नहीं था। किसी ने पुरानी यारी निभाई और पैसा लगा दिया। समस्या इसके नामकरण को लेकर आई। मित्र चौकड़ी राम ने समस्या का हल बता दिया, क्यों न इसका नाम ‘कुकड़ू कूज् रखा जाय। लेकिन गर्दभानंद अड़ गए उन्होंने कहा चौकड़ी वह दिन भूल गए जब तुम्हे क्लास में मुर्गा बनाया जाता था तो मैं जिद करके तुम्हे गधा बनवाता था मेरी पसंद को तुम जानते हो फिर भी..। चौकड़ी ने इस बार दूसरा नाम सुझाया ‘ढेंचूज् और यह नाम गर्दभानन्द को जंच गया। लेकिन लोग क्या कहेगें यह बात उन्हे सता रही थी चौकड़ी ने उन्हे फिर समझाया देखो जब एफएम चैनल का नाम सिटी,टाउन, मिर्ची, टमाटर, रेड, ब्ल्यू यही नहीं बिल्ली की आवाज म्याऊं हो सकता है तो ढेंचू क्यों नहीं हो सकता।
अब चैनल के उद्घाटन में सारे शहर के गधे बुलाए गए उन्होनें सस्वर गान किया और नारियल फोड़कर चैनल शुरू हो गया। उद्घोषक गर्दभानन्द ही थे उन्होनें धीरे-धीरे चैनल की बारीकियां सीखीं और अब एक दम पक्के हो गए। उन्होनें हर गाने के बार एक विज्ञापन और मैसेज करने के लिए श्रोताओं को उकसाने लगे।
उनके एफएम की बानगी देखिए, ‘यह एफएम ढेंचू है, अपने दिल की बात हमारे ढेंचू के साथ। हमारे सवालों के जवाब ढेंचू स्पेस 420 पर मैसेज करके इनाम पाएं।ज् सवाल सीधा सा है, बुश के ऊपर कितने जूते चलाए गए? इनाम है अमेरिकी राष्ट्रपति की प्रेस कांफ्रे न्स में जाने का सुनहरा मौका। पिंटू पढ़वइया ने फटाफट मोबाइल उठाकर पांच मैसेज किए लेकिन इनाम की घोषणा नहीं हुई। अलबत्ता उद्घोषक ने फोन करके उनसे पूछ जरूर लिया कि आप करते क्या हैं? उन्होंने कहा साइंस का विद्यार्थी हूं? अब आपके लिए आखिरी आसान सवाल, जो जूते बुश को मारे गए थे उसका द्रव्यमान और वेग क्या था? पिंटू ने लाख कोशिश की लेकिन नहीं बता पाए और गर्दभानन्द ने ढेंचू-ढेंचू बोलते हुए गाना चला दिया।
अभिनव उपाध्याय

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