Wednesday, December 31, 2008

न्याय के लिए आई हूं

न्याय के लिए आई हूं

भारतीय फिल्में, भारतीय संगीत और भारतीय संस्कृ ति से प्रभावित अफगानी लड़की साबरा अफगानिस्तान से भारत तक की यात्रा अपने पति को ढ़ूंढने के लिए की। लेकिन तलाश पूरा होने के बाद उसे अब न्याय के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है।तीस नवम्बर को अपने मां के साथ भारत आई साबरा अपने पति मेजर डा.चंद्रशेखर पंत को तलाशती उसके पास पहुंच गई लेकिन उससे मिलने के बाद अपने पति की प्रतिक्रिया को देखकर वह अवाक साबरा का कहना है कि, सबसे पहले उसने मुङो देखकर यही पूछा कि ‘तुम यहां तक कैसे आ गई। अफगानिस्तान से आए उसे दो साल हो गए थे लेकिन इस बीच उसने मात्र तीन फोन किया और वह भी यह बताने के लिए वह शादीशुदा है और सारा उसे भूल जाए। 20 साल की साबिरा डा. पंत से मुलाकात के बारे में बताती हैं कि ‘मैं काबुल में आई एमएम (इंडियन मेडिकल मिशन) में एक दुभाषिया के रूप में काम कर रही थी, वहां पर मेजर पंत भी थे मैं अफगानी या पस्तो से हिन्दी में बदलती थी। इस बीच मेजर पंत ने उसके सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन उसने बिना परिवार की आज्ञा से इसे मानने से इनकार कर दिया। जब उसने हमारे पिता से बात की तो उन्होंने कहा कि हम लोग हिन्दूओं में शादी नहीं करते इस पर मेजर पंत ने निकाह के लिए इस्लाम कबूल कर मेजर हिम्मत खान बन गया और हिजरी सम्सी 19/8/1385 को उसने मुझसे निकाह किया। हमारे साथ किराए के मकान में पन्द्रह दिन गुजारने के बाद वह भारत आ गया। उसने जाते समय कहा कि वह जल्द ही लौट कर आ जाएगा। लेकिन उसने जब फोन किया तो उसका उत्तर उम्मीदों को तोड़नें वाला था। उसने कहा मैं एक शादीशुदा दो बच्चों का बाप है तुम दूसरी शादी कर लो।ज् मुङो इस तरह के उत्तर की उम्मीद नहीं थी। शादी के दो साल बाद पति के लिए भारत आने के बारे में वह बताती हैं कि, जब आखिरी बार उसने एकदम मना कर दिया और हमारी बिरादरी के लोगों का लगातार दबाव हम पर बनता गया तो हमने मां के साथ भारत आने के बारे में सोचा। अधिक समय वीजा मिलने में लग गया, लेकिन इतने समय बाद भी न्याय न मिलने से वह निराश हैं।साबरा का कहना है कि यहां की सरकार और उत्तराखंड प्रशासन ने भी मेरे साथ काफी सहयोग किया है यही नहीं भारतीय महिला आयोग ने भी सकारात्मक उत्तर दिया और मेरे वीजा की अवधि बढ़ाने का आश्चासन दिया है।साबिरा का कहना है कि अब मैं भी भारतीय हूं और यहां की बहू हूं। अगर मैं दोषी हूं तो मुङो जांच करने के बाद दंड दिया जाय और नहीं हूं तो दोषी को सजा दी जाय। मैं न्याय मांगने आई हूं। साबिरा बताती हैं कि जब मेजर पंत ने पिथौरागढ़ में रहने वाली अपनी पत्नी से मिलवाया तो पहले तो उसकी पत्नी ने कहा कि मैं जानती हूं कि इसने तुमसे शादी की है लेकिन जब उसे पुलिस के सामने बयान देने को कहा गया तो उसने बयान बदल दिया और कहा मुङो इसके बारे में कोई जानकारी नहीं है।साबरा अपने परिवार की हालत बयां करते हुए कहती हैं कि मेरे परिवार में चार बहन और तीन भाई हैं मैं सबसे बड़ी हूं। मेरी अपनी ही बहन जब मुझसे सवाल करती है तो मैं निरूत्तर हो जाती हूं। पड़ोस के लोग भी छींटाकसी क रते हैं। इस संबंध में आपने काई केस भी दायर किया है? यह पूछे जाने पर साबरा का कहना है कि, अभी नहीं, क्योंकि बिना केंद्रीय सरकार की अनुमति के यह संभव नहीं है अभी मैं हाल ही में गृहमंत्री से मिली हूं और उन्होंने मामले पर ध्यान देने का आश्वासन दिया है। यहां की न्याय प्रणाली के बारे में उसका कहना है कि, मुङो जब तक न्याय नहीं मिलेगा मैं लड़ती रहूंगी। साबरा का कहना है, मुङो भारत और अफगानिस्तान में कोई विशेष अंतर नहीं लगता यहां लोग काफी अच्छे हैं। बहुत भारतीय अफगानिस्तान में वर्षो से रह रहे हैं सबका आपस में बहुत भाईचारा है। किसी एक आदमी के बुरा होने से पूरा देश तो बुरा नहीं हो जाता।

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