Sunday, October 4, 2009
अरे, ये तो रजिया की कब्र!
मुस्लिम और तुर्की इतिहास में पहली महिला शासिका रजिया सुल्तान की मजार सैकड़ों वर्षो से धूप-बारिश ङोलती प्रशासिन उपेक्षा की शिकार बनी अतिक्रमण से घिरी हुई है। तुर्कमान गेट के भीतर और काली मस्जिद के समीप तंग गलियों के बीच इस शासिका की कब्र है। लेकिन वहां तक पहुंचना आसान नहीं है। यहां पर अधिकरत लोगों को पता नहीं है कि यह रजिया सुल्तान की ही कब्र है। ऊंचे मकानों के बीच गंदी और तंग गलियों से होकर वहां जाया जा सकता है लेकिन कोई प्रमाणिक जानकारी देने वाला बोर्ड या एएसआई द्वारा नियुक्त चौकीदार नहीं है जो इस कब्र के बारे में लोगों को बता सके। यही नहीं यहां पर असंवैधानिक रुप से रोज नमाज भी पढ़ी जाती है। चारो ओर से अतिक्रमण से घिरी इस कब्र की देखरेख के लिए कोई नहीं है।
इल्तुतमिश की योग्य और साहसी बेटी रजिया सुल्तान लगभग 1236 में सिंहासन पर बैठी लेकि न अधिक दिनों तक शासन नहीं कर पाई और उनके भाई मैजुद्दीन बेहराम शाह ने सिंहासन पर कब्जा कर लिया। हालांकि इतिहासकार सतीश चन्द्र ने अपनी पुस्तक हिस्ट्री ऑफ मेडिवियल इंडिया में लिखा है कि उसके छोटे भाई रक्तुद्दीन ने पिता की मृत्यु के बाद छह महीने तक शासन संभाला एक विद्रोह में 9 नवम्बर 1236 को रक्तुद्दीन तथा उसकी मां शाह तुर्कानी की हत्या कर दी गई। इसके बाद रजिया सुल्तान ने शासन संभाला। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि रजिया का अपने सिपहसालार जमात उद-दिन-याकूत जो एक हब्शी था के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था जो मुस्लिम समुदाय को मंजूर नहीं था। इससे उसके राज्यपालों में असंतोष था अंतत: भटिंडा का राज्यपाल मल्लिक इख्तियार-उद-दिन अल्तुनिया समेत अन्य राज्यपालोंे ने विद्रोह कर दिया इनसे लड़ते हुए याकूत मारा गया और दबाव में आकर रजिया ने अल्तुनिया से शादी कर ली। इसी बीच रजिया के भाई मौजुद्दीन बेहराम शाह ने सत्ता हथिया ली। अपनी सल्तनत की वापसी के लिए रिाया और उसके पति अल्तुनिया ने उसके भाई बेहराम शाह से युद्ध किया जिसमें 14 अक्टूबर 1240 को दोनों मारे गए।
ग्लोरिया स्टिनिम ने अपनी पुस्तक, ‘हर स्टोरी: वुमेन हू चेंज्ड द वर्ल्डज् में उस समय की मुस्लिम व्यवस्था के बारे में लिखा है कि, रजिया को भी अन्य मुस्लिम राजकुमारियों की तरह सेना का नेतृत्व तथा प्रशासन के कार्यो में अभ्यास कराया गया ताकि जरुरत पड़ने पर उसका इस्तेमाल किया जा सके।
उस समय दिल्ली सल्तनत की शासिका रिाया सुल्तान की वास्तविक कब्र को लेकर मतभेद है। लेकिन अधिकतर विद्वानों ने तुर्क मान गेट के पास ही इसकी वास्तविक स्थिति को बताया है। ऐसा माना जाता है कि इस कब्र की गुम्बद पैंतीस वर्ग फीट रही होगी हांलांकि अब यह अतिक्रमण से ग्रस्त है गुम्बद की कोई निशानी नहीं दिखाई देती है। अब यह मात्र आठ फीट की ऊंचाई से घिरी कब्र है जिसके चारो ओर ऊंची-ऊंची इमारतें हैं। तीन फीट पांच इंच चौड़ी और लगभग आठ फीट लम्बी रजिया सुल्तान की कब्र के पास एक और कब्र है ऐसा माना जाता है कि वह रजिया की बहन शजिया बेगम की है।
इतिहास में इतनी महत्वपूर्ण जगह की प्रशासनिक उपेक्षा इस तरह से है कि वहां पर फै ली गंदगी के कारण पर्यटक भी वहां जाने से कतराते हैं। इस संबंध में आर्कियोलोजिकल सर्वे आफ इंडिया के सुप्रिमटेंडेंट आर्कियोलाजिस्ट का कहना है कि हम इस संबंध में पूरी कोशिश कर रहे हैं। यहां पर हो रही अवैध नमाज और अतिक्रमण से संबंधित मामला अदालत में चल रहा है लेकिन हमें पूरी तरह से और भी सरकारी एजेंसियों की मदद चाहिए तथा स्थानिय निवासियों में भी अपनी संपदा को लेकर जागरुकता होनी चाहिए। हम अपनी तरफ से भी ये सब करने के लिए पूरी तरह प्रयास कर रहे हैं।
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7 comments:
खँडहर से मोती चुनने और यहाँ खुलासा करने के लिए आपका शुक्रिया!
Thank you for this very informative post.
जहाँ जिन्दा इन्सान को कोई पूछने वाला नहीं ओर आप हैं कि कब्रों की फिक्र में पडे हुए हैं ।
जानकारी तो जबरदस्त है,,,इसकी प्रमाणिकता भी बता सके तो सुविधा होगी....क्योकि सहसा विश्वास नहीं होता की रजिया की कब्र...और इस तरह....बाकि लेखन अंदाज वैसा ही प्रखर......
".....है लेकिन कोई प्रमाणिक जानकारी देने वाला बोर्ड या एएसआई द्वारा नियुक्त चौकीदार नहीं है "
"..उस समय दिल्ली सल्तनत की शासिका रिाया सुल्तान की वास्तविक कब्र को लेकर मतभेद है। लेकिन अधिकतर विद्वानों ने तुर्क मान गेट के पास ही इसकी वास्तविक स्थिति को बताया है.." (srot fir nahi)
aapne swayam likha hai...
shreesh ji aapka kahana sahi hai. ye kabra rajiya ki he hai isaki pusti a s i ki book aur officer karate hain. esi liye yahan ke haalat ko lekar unhone apna bayan diya hai. baaki kitabon me bhi isaka jikra hai.
...स्पष्टीकरण के लिए शुक्रिया....भाई जी मेरा इरादा नेक है.....नाराज ना होइएगा....
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