Friday, October 16, 2009

दीपावली


कोने-कोने पहुंचे प्रकाश
दूर तिमिर हो, छाए उजास
मन में जागे ज्ञान की प्यास
इस दीपावली यही है आस।

बच्चों का बचपन हो जगमग
मिले-जुले सब हिल-मिल सज-धज
आएं सबको खुशियां रास
इस दीपावली यही है आस।

6 comments:

Dr. Shreesh K. Pathak said...

दीवाली की ढेरों शुभकामनायें..

परमजीत सिहँ बाली said...

दीवाली की शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

सुन्दर रचना..

सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!

-समीर लाल ’समीर’

रवि कुमार, रावतभाटा said...

रौशनियों के इस मायाजाल में
अनजान ड़रों के
खौ़फ़नाक इस जंजाल में

यह कौन अंधेरा छान रहा है

नीरवता के इस महाकाल में
कौन सुरों को तान रहा है
.....
........
आओ अंधेरा छाने
आओ सुरों को तानें

आओ जुगनू बीनें
आओ कुछ तो जीलें

दो कश आंच के ले लें....

०००००
रवि कुमार

अविनाश वाचस्पति said...

दीपावली पर है नेक प्‍यास
सबकी बनी है खासमखास।

संगीता पुरी said...

अच्‍छी रचना !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!

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