
कोने-कोने पहुंचे प्रकाश
दूर तिमिर हो, छाए उजास
मन में जागे ज्ञान की प्यास
इस दीपावली यही है आस।
बच्चों का बचपन हो जगमग
मिले-जुले सब हिल-मिल सज-धज
आएं सबको खुशियां रास
इस दीपावली यही है आस।
..........सरे राह स्याही संजोकर
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6 comments:
दीवाली की ढेरों शुभकामनायें..
दीवाली की शुभकामनाएं।
सुन्दर रचना..
सुख औ’ समृद्धि आपके अंगना झिलमिलाएँ,
दीपक अमन के चारों दिशाओं में जगमगाएँ
खुशियाँ आपके द्वार पर आकर खुशी मनाएँ..
दीपावली पर्व की आपको ढेरों मंगलकामनाएँ!
-समीर लाल ’समीर’
रौशनियों के इस मायाजाल में
अनजान ड़रों के
खौ़फ़नाक इस जंजाल में
यह कौन अंधेरा छान रहा है
नीरवता के इस महाकाल में
कौन सुरों को तान रहा है
.....
........
आओ अंधेरा छाने
आओ सुरों को तानें
आओ जुगनू बीनें
आओ कुछ तो जीलें
दो कश आंच के ले लें....
०००००
रवि कुमार
दीपावली पर है नेक प्यास
सबकी बनी है खासमखास।
अच्छी रचना !!
पल पल सुनहरे फूल खिले , कभी न हो कांटों का सामना !
जिंदगी आपकी खुशियों से भरी रहे , दीपावली पर हमारी यही शुभकामना !!
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