सब अपनी-अपनी समस्या के समाधान के लिए बाबा घंटानंद के यहां जाते हैं। सबकी विभिन्न तरह की समस्याएं हैं। लौकिक से लेकर पारलौकिक समस्याओं का समाधान यह अपनी विभिन्न विद्याओं के माध्यम से बताते हैं। ये विद्या उन्हे कहां से मिली और आगे वह किसको इसे प्रदान करेंगे इसके बारे में पूछने पर वह आधे इंच में रहस्यमई मुस्कान बिखेर देते हैं। वह कहते हैं कि वत्स, समाधान से मतलब रखो बहुत जानने की कोशिश करोगे तो व्यवधान पड़ जाएगा।
बहरहाल उनसे समस्या का समाधान जानने राजा रंक भिखारी नर नारी सब बेधड़क आते थे। किसी नेता ने एक बार उनसे पूछा बाबा हर बार चुनाव लड़ता हूं लेकिन जमानत जब्त हो जाती है? बाबा ने फिर एक चिरपरिचित मुस्कान बिखेरी और कहा कि मैं भुक्त भोगी हूं लेकिन इसका एक उपाय है, आप जमानत पहले ही दे दें कि जब्त होने की नौबत ही न आए। प्राय: जब हम कुछ करने में असफल हो जाते हैं तो नेतागिरी करते हैं। लेकिन उसे भी गंभीरता से नहीं। नेतागिरी में यदि कोई गंभीर नहीं है तो निश्चित रूप से यह लोकतंत्र का अपमान है। लोकतांत्रिक व्यवस्था पर आये दिन लोग प्रश्नचिह्न् खड़ा करते हैं लेकिन इसको लेकर गंभीर नहीं है। बाबा से अपनी समस्या के समाधान के रूप में नेता जी को ऐसी परिचर्चा की उम्मीद नही थी।
पड़ोस की आंटी को अपने बेटे से लेकर समस्या थी वह उसके व्यवहार में हो रहे परिवर्तन से दुखी थी बाबा के दरबार में गई और कहा मेरे बेटे के लिए कुछ करिए। यह अकसर आईपीएल के बाद उदास रहता है। बाबा ने बच्चे को बुलाया और पूछा, बच्चे ने कान में बाबा से सट्टे में धनहानि की बात बताई। बाबा ने कहा चिंता मुक्त हो बालक अब 20-20 का वल्र्ड कप चल रहा है और इसमें मोदी भी नहीं है। इस बार सारी कमी की भरपाई कर लो। खिलाड़ियों ने खुद तो मौज लूटा और अनाड़ियों को भिखमंगा बना दिया। सहीराम की पड़ोसन बासमति की दूसरी समस्या थी वह बाबा के पास गई और बोली, बाबा जी मैं पिछले एक वर्ष से खाना बना रही हूं लेकिन किसी ने मेरी तारीफ नहीं की। मेरा स्वास्थ्य भी ठीक नहीं रह रहा है। मैं खाना दक्षिण दिशा की तरफ मुख करके बतानी हूं। मैं किस दिशा में मुख करके खाना बनाऊं कि लोगों को खाना स्वादिष्ट लगने लगे? बाबा घंटानंद थोड़ी देर विचार करने के बाद बोले, देवी, तमाम प्रकाशित अप्रकाशित वाचिक और मूक अनेक माध्यमों से अध्ययन के बाद जो ज्ञान मुङो प्राप्त हुआ है इसके आधार पर मैं कह सकता हूं कि स्वाद का दिशा से कोई संबंध नहीं है लेकिन घर वालों से पूछो कि कहीं मंहगाई ने स्वाद नहीं बिगाड़ दिया है।
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