Tuesday, June 15, 2010

लाइन बदलने की सोच

बजट के बाद आये दो बड़े मध्यम दो तुफानो में एक बाबा समेत कई रसिक टाईप बाबाओं को पकड़ा गया .और दूसरा महा माया मायावती को नोटों की माला पहनाकर सुशोभित किया गया. जब अखबारों के फर्स्ट पेज पर यह समाचार भिखारियों को मिला और महामाया की तस्वीर उन्होंने देखि तो जीभ काटकर रह गए.जब यह समाचार उन्हें मिला की महिला आरक्षण विधेयक का विरोध करने वाले संसद की नोटों की माला उनके समर्थकों ने खिंच ली तब वह दांतों टेल जीभ काट लिए.गौर तलब है की जब भी कोई धन सम्बन्धी क्खाबर भिखारियों को लगती है यह ऐसे ही जीभ काट लेते हैं. उनके अन्दर अजीब सी बेचैनी आ जाती है.एक भिखारी को जब यह खबर मिली की बाबा लोग अब बालाओं के माध्यम से कमाई कर रहे हैं तो उसने दूरभाष से अपने बाबा मित्र से पूछा की इस तरह के धंधे में कितनी कमी हो जाती है? बाबा ने धंधे के बारे में वही पुराना राग अलापा बस रोटी पानी चल जा रही है , क्या है की बड़ा लफड़ा है . पुलिस तो सूंघती रहती है जब तक दो चार बोटी न फेंको पीछा ही नहीं छोड़ते. भिखारी मन मरकर रह गया .
इच्छाधारी बाबा के पकडे जाने पर सभी बाबाओं को अपनी सुरक्षा की चिंता सता रही थी .साथ में बिजनेस में घटा न हो जय इसके लिए भी परेशान थे. सभी बाबाओं में एक मीटिंग बुलाई, यह मीटिंग श्री श्री 1oo8 गुरुघंटाल जी महाराज के आश्रम में हुई.सभा में इसपर चिंता जताई गई की कुछ लोग इस धंधे को ख़राब कर रहे हैं. न उनमे चतुरता है और न ही चपलता.आखिर बालाओं के साथ विहार करने की क्या जरूरत थी ? हम तो जायेंगे सनम तुमको भी ले जायेंगें. और बाबा सुघर नन्द ने हद कर दी. खु द ही सिने तारिका के साथ रस रचाने लगे. जरा भी आत्म सयम नहीं है. अगर हमलोग अपनी हरकतों में सुधार नहीं करेंगे तो भक्त भड़क जायेंगे.तब हो चूका धंधा.उस बाबा भोग देव को क्या पड़ी थी जो योग सिखाते-सिखाते चुनाव लड़ने के लिए पार्टी बना लिया.थोडा सब्र करता सब मिलकर लड़ते.भाई संगठन में शक्ति है. बहरहाल सभा में यह निर्णय लिया गया की अब सब बाबा संयम से कम लेंगे.और काम करने के त्रिकोण में तबदीली लानी होगी . गुरु घंटाल ने एक और सुझाव दिया की अब हमें अपने-अपने पारम्परिक नाम छोड़कर नए नाम के साथ बाजार में आना चाहिए. सर्व्पथं गुरु घंटाल ने अपना नाम बदलकर कॉर्पोरेट बाबा रखा . नाम बिलकुल समय के अनुकूल था सबको बहुत पसंद आया.बाबा व्यापारिक घरानों के प्रोडक्ट लोंच करने लगे.अब वह जन्मदिन पूजा करने की नहीं बल्कि केक काटने की सलाह देने लगे.उनकी प्रसिद्धि देखा कर और बाबा भी उनसे सलाह लेने आने लगे.बाबा चयितु राम जो किसानो को इस साल कौन सी फसल बोना चाहिए और पानी कब और कितना बरसेगा इसकी भविष्यवाणी करते थे धंधा मंदा होने पर बाबा के पास पहुंचे बाबा ने समस्या सुनी और उनका नाम मानसून बाबा रखने की सलाह दी धंधा चल निकला . बाबा के दर्शन अब चैनलों पर होने लगे.चैनेल की टीआरपी भी उछलने लगी . धन वर्ष से बाबाओं का तन मन डूबने लगा. लोकतंत्र के पहरुए नेता निरंतर हार का मुह देखने के बाद कॉर्पोरेट बाबा की शरण में आये. बाबा ने समझाया , वत्स जो धन पार्टी कोष में देते थे वो अब दान पात्र में दलारो कल्याण होगा. सभी भक्त चुनाव के समय प्रचार करने जायेंगे.
नेता जी बोले , बाबा नाम बदने की जरूरत नहीं पड़ेगी? बाबा ने पूछा तुम्हारा नाम क्या हैं वत्स? नेता जी ने कहा chiraujimal तोता राम. बाबा ने कहा शोर्ट नेम का जमाना है . अबसे तुम्हारा नाम चिरतो रहेगा . फ़ॉर्मूला काम आया नेता जी की विजय हुई. भिखारी अब हर साल बजट के बाद की घटनाओं में उअल्झा है. बाबाओं के चमत्कार देख वह लाइन बदलने की सोच रहा है.

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