Thursday, December 4, 2008

पिछलग्गू लेखक

पिछलग्गू लेखक

सहितस्य भावं साहित्यं- हम तो सबके हित की बात लिखते हैं और हमेशा इस चीज का ख्याल रखते हैं कि समाज का अहित कभी न हो, चाहे सरकार गिरे या ठहर जाए, चाहे बाबा बर्फानी पिघले या जम जाएं, चाहे कश्मीर जले या बुझ जाए, चाहे सेतु समुद्रम में सुनामी आए या वह सूख जाए। हम हमेशा इसमें पब्लिक को हित देखकर किसी न किसी विषय पर लिख ही देते हैं। ये सारी बातें पिछलग्गू लेखक संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष नकलचीराम सहीराम से बड़े ही गौरव की मुद्रा में कह रहे थे। दरअसल नकलची राम की रचनाएं किसी न किसी बड़े लेखक की नकल होती हैं लेकिन नकलची राम इसे पूरी तरह चौबीस कै रेट का प्योर गोल्ड मानते हैं। सहीराम ने सोचा क्यूं न आज इनसे साहित्यिक उपलब्धियों की चर्चा की जाए। पूछ लिया, इधर कोई नई किताब लिखी है? इधर-उधर क्या हम तो हर हफ्ते कोई न कोई किताब टीप ही देते हैं वो भी पूरी प्योर, हाइब्रिड एकदम नहीं। अभी पिछले दिनों मेरी एक किताब दि लॉस्ट मुगल एण्ड फर्स्ट दुग्गल चर्चा में रही। दि लॉस्ट मुगल तो सुनी हुई पुस्तक लग रही है लेकिन फर्स्ट दुग्गल कौन है? ये हमारे पैसे वाले पड़ोसी हैं जिनकी दिली ख्वाइश थी कि उनके ऊपर एक पुस्तक लिखी जाए सो मैंने उनकी आखिरी इच्छा पूरी कर दी। इस किताब की उपलब्धि ने तो मुङो अध्यक्ष की कुर्सी तक पहुंचाया है।
अच्छा, अपनी कुछ और रचनाओं के नाम बताएंगे? बता तो दूंगा लेकिन प्लीज पलट कर सवाल मत कीजिएगा। कुछ चर्चित पुस्तकें इस प्रकार हैं- विष्णु भट्ट की आत्मकथा और चिरौंची लाल की व्यथा, कितने पाकिस्तान जितने हिन्दुस्तान, गुनाहों का देवता दैत्यों की उदारता, ए ट्रेन टू पाकिस्तान एण्ड ए प्लेन टू कब्रिस्तान और भी बहुत सी हैं बताने लगूं तो शाम हो जाएगी। वैसे आप इतना जान जाइए कि शायद ही कोई विषय हो जिस पर मेरी लेखनी ने मैराथन दौड़ न लगाई हो। सहीराम ने कहा कि नकलची राम जी आप की पुस्तकों का पहला नाम किसी न किसी बड़े लेखक की किताब के शीर्षक से मिलता है। देखिए सहीराम जी, मैंने पहले ही कह दिया था कि आप कोई सवाल नहीं करेंगे नकलची राम ने आंख तरेर कर कहा। जो चाहे वो लांछन लगा दिया, लोकतंत्र का इतना फायदा मत उठाइए। सरकार समङो हैं क्या कि जिसका मन हुआ मुंह उठाकर बड़बड़ा दिया और कोई कुछ नहीं कहेगा। सहीराम ने उनको खुश करते हुए कहा कि मुझे आपकी प्रतिभा पर शक नहीं है। अच्छा एक बात बताइए कैसे लिख पाते हैं इतना सबकुछ? यह राज की बात है प्रॉमिस करिए किसी से बताइएगा नहीं, चलो भाई प्रॉ.. है। कट-कॉपी-पेस्ट उसके बाद हमारा रेस्ट पब्लिक कहती है ये है नकलची राम का बेस्ट। वैसे सहीराम जी मैं एक नई किताब लिखना चाहता हूं सहीराम संग नकलचीराम।
अभिनव उपाध्याय

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