Thursday, December 4, 2008

हिन्दी पखवाड़े का हिंग्लिश भाषण

हिन्दी पखवाड़े का हिंग्लिश भाषण
बैंकों, अस्पतालों, स्कूलों, विश्वविद्यालयों में हिन्दी पखवाड़े की धूम देखकर हिन्दी उत्थान समिति के अध्यक्ष और स्वनाम धन्य साहित्यकार सनेही सुकुल लम्ब्रेटा ने एक ऐसा ही आयोजन कराने का मन बनाया। जब सहीराम ने उनसे पूछा कि नाम के पीछे लम्ब्रेटा क्यों लगाते हैं तो वो मुस्कु राते हुए कह देते, इससे स्मार्टनेश थोड़ी बढ़ जाती है और कोई खास बात नहीं है। लेकिन ये स्मार्टनेश उनके वक्तव्यों में भी दिखाई देती है। प्रस्तुत है हिन्दी उत्थान समिति की बैठक में उनके दिए गए भाषण के कुछ अंश-
डियर लिसनर! हमारी हिन्दी निरंतर आगे बढ़ रही है। शायद यही कारण है कि विदेशी लोग हमारी भाषा की स्मग्लिंग कर रहे हैं। हिन्दी के साथ रहना मिंस, इट विल बी ए रियल स्पिरिचुअल एक्सपिरिएंस। लेकिन हिन्दी की कंडीशन आजकल कुछ बिगड़ गई है। इसका सबसे अधिक नुकसान लिटरेचर के तिलचट्टों ने किया है। हिन्दी इंफे क्शन से ग्रस्त है उसे अंग्रेजी के एंटीबायटिक की आवश्यकता है। साहित्यकार रूपी डॉक्टर इसका एमआरआई, सीटी स्कैन, ईसीजी कराकर रोज नए इंजेक्शन लगाकर इसके साथ एक्सपेरिमेंट कर रहा है।
लेकिन एफएम चैनल वालोंे ने हिन्दी की प्रगति में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। म्यांऊ -च्यांऊ एफएम की एंकर तो प्योर इंग्लिश बोलते-बोलते आहिस्ते से सीरियस हिन्दी बोल देती है। यह फीलिंग कुछ ऐसी ही है जसे बर्गर चबाते-चबाते अचानक रसगुल्ला मुंह में आ गया हो और हिन्दी का कद फाइव गज उठ जाता है।
आइ एम रियली थैंक्स टूडेज हीरोइन्स बिकाज, ये हिन्दी फिल्मों की नायिकाएं अंग्रेजी में इंटरव्यू देते-देते जब हिन्दी में मुस्कुरा देती हैं तो एक बार में लाखों लोगों को इससे सीखने को मिलता है और हिन्दी को फोर मून (चार चांद)लग जाता है। हिन्दी फिल्मों में भी टाइटल आधा इंग्लिश में रखने का चलन है जसे दिल दोस्ती ईटीसी, जब वी मेट, किस्मत कनेक्शन, सिंह इज किंग और न जाने कितनी फिल्में अंग्रेजी नाम को पीछे और हिन्दी नाम को आगे रख रही हैं।
हमें अपने बड़ों से कुछ सीखना चाहिए। मुङो याद है वो दिन जब हमारे इंग्लिश के टीचर इंग्लिश गाली इडियट, नानसेंस, डफर कहते-कहते चोट्टा, नालायक और बेवकूफ पर आ जाते थे उनका हिन्दी प्रेम देखकर आंख भर आती है। सच ये उनका हिन्दी के साथ प्यार ही था, एकदम ट्रू लव।
साथियों! हिन्दी के डेवलपमेंट के लिए एक बात और, आप इंग्लिश की डिक्शनरी हमेशा साथ रखें, सीने से चिपका कर रखें। हिन्दी के विकास के लिए जरूरी है कि आप अपना डेली वर्क भी हिन्दी में करें। लंच, डिनर, लव, अफे यर्स, गुटुरगूं, मार-पिटाई, गाली-गलौज ऑल वर्क हिन्दी में ही हो, और हां पड़ोसी से रिक्वेस्ट करें कि प्लीज मेरी हिन्दी गाली का जबाव भी हिन्दी में ही दें। सरकार भी इस मामले में ठोस कदम उठाए जो हिन्दी में नहीं बोलेगा पर वर्ड सवा रुपए जुर्माना।
भाषण खत्म होने पर सहीराम ने पूछ लिया आप पर कितना जुर्माना लगे?
अभिनव उपाध्याय

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