Thursday, December 4, 2008

भाईगिरी संग गांधीगिरी

भाईगिरी संग गांधीगिरी
धंधे की क म्पटीशन और आए दिन हो रहे नए लोचे से परेशान होकर अब भाई लोगों का धंधा मंदा चल रहा है। दादा लोग धंधागिरी के साथ चमचागिरी भी कर रहे हैं। आजकल सभी भाई लोग मुम्बई से लेकर दुबई तक परेशान हैं। यह बात सुलेमान भाई ने जब्बार भाई से कही। बोला, भाई ! आजकल धंधे में कोई भी डांट देता है, पुलिस ने भी हफ्ता बढ़ा दिया है। नए-नए छोरे खुद को भाई कह रहे हैं। इन मुश्किलों को ध्यान में रखते हुए सभी छोटे, बड़े, मझले भाइयों ने एक मीटिंग बुलाई है। इसमें कोई न कोई रास्ता निकाला जाएगा। मीटिंग शुरू हुई। जंगी कसाई ने कहा हमें कोई दूसरा रास्ता निकालना चाहिए जिससे पब्लिक हमें के वल भाई न समङो, कभी धंधा मंदा पड़ जाय तो हम पालिटिक्स या फिल्म टाइप लाइनों में भी हाथ आजमा सकें।
कुछ बुद्धिजीवी भाइयों ने विश्व में आई आर्थिक मंदी पर चिंता जताई और कहा कि आजकल जिस तरह पुलिस और प्रशासन ने सख्ती और वसूली बढ़ा दी है। उससे तेजी से उभरते हुए इस कारोबार पर खतरा मंडराने लगा है। हम दुर्गा पूजा, रोजा इफ्तार पार्टी से लेकर राजनीतिक पार्टियों को चंदा देते हैं लेकिन मौके पर सभी हमसे मुंह फेर लेते हैं। इस सभा में थोड़े पढ़े-लिखे लिखे इस्माइल भाई ने गले से रुमाल की गांठ खोलते हुए कहा कि भाई जान हम लोग अब गांधीगिरी करेंगे। पास में बैठे खुंखार सिंह ने कहा पागल हो गया है क्या अब पिस्तौल की जगह पिचकारी पकड़ेगा क्या? या धंधे में तेरी नीयत बदल गई है। कहीं तू पुलिस का चमचा तो नहीं, बोल नहीं तो अभी टपका दूंगा। इस्माइल ने संभलते हुए कहा खुदा कसम, भाई पहले हमारी बात सुनो चाहे बाद में खल्लास कर देना। तब खुंखार सिंह ने कहा सुनो भाई लोग अपुन लोग को इस्माइल एक आइडिया देने वाला है कुछ गांधीगिरी टाइप। सब दौड़कर सुनने आए। इस्माइल ने कहा अब हम किसी को टपकाएंगे तो उसकी मजार पर फू ल भी चढ़ाएंगे, किसी का थोबड़ा उड़ाएंगे तो उसे हास्पीटल भी ले जाएंगे। लूट का एक हिस्सा मरहम पट्टी के लिए लोगों में बांट देंगे। इससे पब्लिक में पापुलरिटी बढ़ेगी और हमारी इमेज एक लवली भाई लोगों की तरह हो जाएगी। इससे धंधा मंदा पड़ने पर भी हम लोग चुनाव वगैरह में हाथ आजमा सकते हैं। खूंखार ने पूछा ये अकल कहां से आई रे। स्माइल ने मुस्कुरा कर कहा, सरकार से। सरकार पहले बाढ़ आने को इंतजार करती है फिर राहत की घोषणा मतलब पहले मुसीबत पैदा करो बाद में समाधान। मतलब पहले भाईगिरी फिर गांधीगिरी।
अभिनव उपाध्याय

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