Saturday, November 29, 2008

3-न तीन में न तेरह में

3-न तीन में न तेरह में
सहीराम प्राय: देश की वर्तमान स्थिति पर चर्चा करने अपने पड़ोसी और बुद्धिश्रेष्ठ कहावती राम के पास जाया करते हैं। सहीराम अभी कहावती राम के पास पहुंचे ही थे कि उन्होंने कहा कहो सहीराम दुइज का चांद इधर कैसे। सहीराम ने मुस्कुराते हुए कहा यूं ही आपसे चर्चा करने आ गए। फिर बोले,आजकल एक साध्वी चर्चा का विषय हैं। कहावती राम ने कहा त्रिया चरित्रं दैयो न जाने। महाराष्ट्र की स्थिति कैसी है आजकल क्या हो रहा है? कहावती राम ने कहा बिहारी लोगों को तीनों लोक दिखाई दे रहा है। और वहां की सरकार क्या कर रही है? सहीराम ने पूछा। वह न तीन में है न तेरह में। कहावती राम ने कहा। फिर सहीराम ने पूछा वहां का गृहमंत्री क्या कर रहा है? कहावती राम ने अपने अंदाज में उत्तर दिया, दम नहीं बदन में और नाम जोरावर खां। सहीराम ने फिर पूछा अरे, सुना है लोगों ने राज ठाकरे को बहुत समझाया गया लेकिन.. सहीराम आप भी भला गधा नहलाने से घोड़ा बन सकता है।
सहीराम ने इस पर हुई राजनीतिक परिचर्चा की बात छेड़ दी। लालू और मुलायम ने इस विषय पर तो कुछ बोला है, हां बोला है खग जाने खगही की भाषा। लेकिन इस संबंध में और नेता लोग भी तो बोल रहे हैं सहीराम ने कहा। कहावती राम ने कहा, लोग बोल क्या करे हैं खरबूजे को देखकर खरबूजा रंग बदलता है।
अच्छा, इस पूरे घटना में बिहारियों की क्या स्थिति है? सहीराम जी स्थिति क्या, बिहारी हो या यूपी के हों कभी घी घना, कभी मुट्ठी भर चना और कभी वह भी मना। बिहारियों की ऐसी स्थिति पर राज को दया नहीं आई? कहावती राम ने कहा दया धरम नहीं मन में मुखड़ा क्या देखेंे दरपन में।
सहीराम ने फिर कहा अरे दिल्ली में भी चुनाव आने वाला है। कहावती राम ने कहा तभी तो कौआ चला हंस की चाल। अच्छा इस बार पार्टियों में कुछ तालमेल होने की आशा है, सुना है अच्छे-अच्छे लोग पलटी मार रहे हैं। कहावती राम ने कहा भाई, धीरज धरम मित्र अरु नारी, आपदाकाल परखिए चारी।
सहीराम ने फिर हिम्मत करके अमेरिका की विदेशमंत्री कोंडोलीजा राइस के बारे में पूछा कि कहावत राम जी उसके बारे में क्या कहना है? अजी कहना क्या है, न अक्ल, न शक्ल, और इनकी न दोस्ती अच्छी न दुश्मनी।
एक बात बताइये कहावत राम जी आपको इन सब घटनाओं के बारे इतनी बारीक जानकारी और होने वाली घटनाओं के बारे में इतने भरोसे से कैसे कह देते हैं? उन्होने मुस्कुराते हुए कहा, भाई जान हम तो खत का मजमूं भांप लेते हैं लिफाफा देखकर।
अभिनव उपाध्याय

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