Saturday, November 29, 2008

5-नेता जी आए हैं

5-नेता जी आए हैं
न मुण्डन है न चटावन, न मरसिया है न उठावन, न किसी का जन्मदिन है न मरणदिन, न स्वतंत्रता दिवस है न गणतंत्र दिवस, न नामकरण है न को त्योहार आखिर नेता जी कैसे आ गए। यह आश्चर्य का विषय सहीराम को तब लगा जब उनके पड़ोसी ने घर में आकर कहा की नेता जी आए हैं। सहीराम घर से बाहर निकलते ही नेता चौपटानंदन के समर्थकों ने सहीराम को घेर लिया और नेता जी के समर्थन में जोर-जोर से नारे लगे। नेता जी अपने चुनाव चिह्न् के साथ मंद-मंद मुस्कुरा रहे थे। नेता जी का चुनाव चिह्न सांड़ था लेकिन मौके पर उपलब्ध न होने के कारण वह भैंसे पर बैठकर आए थे। और उसके सींग में झंडों की लड़ी बंधी थी। सहीराम को पहली बार लग रहा था कि अब चुनाव आ गया है। नेता जी के समर्थक निरहू चुनाव चिह्न् वाला झंडा लेकर कर नेता जी का प्रचार कर रहे थे। माइक हाथ में लेकर वह कह रहे थे, विपक्ष के चोले को देगा फाड़, हमारा चुनाव चिह्न् हैं सांड़। भाइयों सांड़ पर मुहर लगाकर देश को भाड़ में जाने से बचाएं।
सभी समर्थक सुरा में मदमस्त होकर प्रचार में लीन थे। लोगों के दुख-सुख, खेत-खलिहान, नात-रिश्तेदार के हाल-चाल पूछे जा रहे थे। जरुरत मंदों को प्यार और गैर जरुरत मंदों पर लक्ष्मी बरसाई जा रही थी। नगाड़ों और ढोल ताशों के बीच कारवां गांव-गांव, गली मुहल्ले, नुक्क ड़, चौराहों से होकर गुजर रहा था इसी बीच उनकी मुठभेड़ विपक्षी पार्टी के नेता सुखभंजन से हो गई।
समर्थकों ने तनातनी शुरू, कट्टे से दनादन फायर, वाक युद्ध जबरदस्त और समर्थक पी कर एकदम मस्त। सुखभंजन के एक समर्थक ने जब ये देखा कि नेता चौपटानंदन चुनाव चिह्न् सांड़ होने के बावजूद भैंसा पर चढ़ कर वोट मांगने आया है, उसने तुरंत नारा दिया। सांड़ नहीं ये भैंसा है इसके पेट में जनता का पैसा है। बस अब मामला गरम हो गया। किसी तरह जब दोनों नेता गले मिले तब जाकर बीच-बचाव हुआ।
लेकिन अब मामला हाईकमान के पास जा पहुंचा था कि प्रत्याशी ने विपक्ष से सांठगांठ कर ली है। नेता जी बुलाए गए। चौपटानंदन ने अपनी बात रखी कि ये सांठगांठ नहीं भविष्य में होने वाले गठबंधन की नींव है। नोंक-झोंेक के बाद जादू की झप्पी का जादू बोला नेता जी पार्टी से पल्टी मारकर विपक्षी का चुनाव प्रचार करने लगे। पार्टी से निष्कासन के बाद भी चौपटानंदन ने चंदे का एक ढेला भी नहीं लौटाया। अब वह मस्तचित्त से सुखभंजन का प्रचार कर रहे हैं। सहीराम ने इस कारनामें का राज पूछा तो उन्होंने बताया कि चुनाव तो हम जीतने से रहे इसलिए चंदा बचाने की यह एक तरकीब थी।
अभिनव उपाध्याय

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